नवरात्र के पांचवें दिन दुर्गा मां के पांचवें स्वरूप मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है। भगवान स्कंद जी बालरूप में इनकी गोद में विराजते हैं, इसलिए इनका नाम स्कंदमाता पड़ा। मां स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं। ऊपर वाली दाहिनी भुजा में भगवान स्कंद को गोद में पकड़े हुए हैं और नीचे वाली भुजा में कमल का फूल लिए हैं।
इन की आराधना में यह श्लोक पढ़ा जाता है :
‘सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कंदमाता यशस्विनी।।’
मां स्कंदमाता का वरद्हस्त हमेशा अपने भक्तों की रक्षा के लिए उठा रहता है।