नवरात्र के छठे दिन मां दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। कत नाम के एक प्रसिद्ध ऋषि के पुत्र ऋषि कात्य हुए। इन्हीं कात्य के गोत्र में विश्वप्रसिद्ध महर्षि कात्यायन उत्पन्न हुए थे जिनकी इच्छा थी कि मां भगवती उनके घर पुत्री के रूप में जन्म ले। भगवती ने उनकी प्रार्थना स्वीकार कर ली थी। इसलिए इनका नाम कात्यायनी पड़ा। वर्ण स्वर्ण के समान है। भक्तगण मां इस श्लोक को पढ़ कर मां का ध्यान करते हैं।
‘चन्द्र हासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।’