श्याम भाटिया
इस्राइली लोग हमास नेता याह्या सिनवार की मौत का जश्न मना रहे हैं, वह व्यक्ति जिसके बारे में उनका मत है कि ‘होलोकॉस्ट’ के बाद हुए सबसे भयानक यहूदी नरसंहार के लिए वह जिम्मेदार था, वैसे उन्हें यह भी भान है कि उसकी मौत का मतलब फलस्तीनियों के साथ झगड़े का अंत नहीं है। सालों से, इस्राइलियों को इस बात की शिकायत रही है कि फलस्तीनी परिवार किसी आतंकवादी हमले में मारे गए प्रत्येक यहूदी की मौत पर खुशी का इज़हार सड़कों पर मिठाई बांटकर करते आए हैं। इन जश्नों का उदाहरण देकर निंदा किया करते थे कि कैसे अरबी लोग अपने यहूदी पड़ोसियों के विरुद्ध आतंकवाद और हिंसा का महिमामंडन करते हैं।
विडंबना यह है कि आज कई इस्राइली स्वयं उसी तरीके का समर्थन कर रहे हैं जिससे वे कभी नफरत किया करते थे। पिछले साल अक्तूबर माह में हमास के नेतृत्व में हुए आक्रमण के बाद, जिसके परिणामस्वरूप हजारों लोग मारे गए और घायल हुए, अब जब कभी हमास का कोई बड़ा नेता मारा जाता है तो बड़ी संख्या में इस्राइली भी अपनी खुशी का इज़हार करने से खुद को रोक पाना मुश्किल पाते हैं। यह ठीक है कि इस्राइलियों द्वारा मिठाई बांटने और खुश होकर एक-दूसरे को बधाई देने के दृश्य टीवी टॉक शो और विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर खूब चले। इसलिए 17 अक्तूबर को कोई आश्चर्य नहीं था, जब तेल अवीव के सबसे बड़े समुद्र तटों में से एक पर, जब एक लाइफगार्ड ने अपने लाउडस्पीकर का इस्तेमाल कर यह खबर सुनाई कि ‘कट्टर आतंकवादी याह्या सिनवार को मार गिराया गया है’, तो बिकनी पहने तैराक और धूप स्नान करने वालों ने अपनी प्रतिक्रिया ताली बजाकर, जयकारे लगाकर और सीटियां बजाकर व्यक्त की।
एक साल से अधिक समय में पहली बार, पूरा इस्राइल इस किस्म के हर्षोल्लास में डूबा, जो इससे पहले देखा नहीं गया। कुछ इस्राइली तो एक कदम आगे जाते हुए, सिनवार की मौत की तुलना नाज़ी कमांडर एडोल्फ इचमैन के पकड़े जाने के बाद, उसे फांसी पर चढ़ाये जाने से करने लगे। उसे अर्जेंटीना से अगवा कर इस्राइल लाया गया था, जहां पर 1962 में उस पर मुकदमा चला और मौत की सज़ा सुनाई गई। कुछ अन्य सिनवार की मौत की तुलना ओसामा बिन लादेन के पकड़े जाने और मार गिराए जाने से करने लगे, जिसका बिना निशानी वाला शव अमेरिकियों ने बीच समुद्र फेंक दिया था। इसलिए, तेल अवीव और यरुशलम में बैठे सरकारी अधिकारियों को सुझाव दिया जा रहा है कि सिनवार का शव भी या तो समुद्र के हवाले किया जाए या किसी अज्ञात स्थान पर जलाकर नष्ट करें।
अपनी ओर से, इस्राइली सरकार ने सिनवार का शव गाज़ा के शहर रफ़ा के उपनगर ताल-अल-सुल्तान से हटाकर एक गुप्त स्थान पर रख दिया है, जब तक कि यह अंतिम निर्णय नहीं हो जाता कि उसके अवशेषों के साथ क्या किया जाए। हालांकि, सिनवार की मौत पर बना खुशी का माहौल 101 इस्राइली बंधकों के भाग्य को लेकर बनी चिंताओं से फीका पड़ गया है, जिनमें से कइयों के बारे में अनुमान है कि वे मर चुके हैं– जिन्हें अभी भी हमास और अन्य फलस्तीनी गुटों ने विभिन्न स्थानों पर अपनी कैद में रखा हुआ है या उन सामान्य, गैर-लड़ाकू परिवारों के साथ, जो किसी यहूदी बंधक को एक संपत्ति के रूप में लेते हैं।
इस्राइली सरकार के घोषित उद्देश्यों में हमेशा से एक रहा है- इन तमाम बंधकों की रिहाई सुनिश्चित करना। इस्राइल और हमास के बीच हुए एक समझौते के तहत पिछले साल के अंत में इस्राइली जेलों में बंद सैकड़ों फ़लस्तीनियों के बदले 100 से ज़्यादा यहूदी बंधकों को छोड़ा गया था। तब से लेकर, केवल मुट्ठी भर बंधकों को ही -ज़िंदा या मुर्दा- इस्राइली कमांडो ऑपरेशन के ज़रिए बचाया जा सका है, जिसे इस्राइली लोग ‘साहसिक’ और ‘वीरतापूर्ण’ कमांडो ऑपरेशन बताते हैं।
सिनवार की मौत की पुष्टि करते वक्त इस्राइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बंधक बनाने वालों को एक दुर्लभ और अभूतपूर्व प्रस्ताव दिया, और कहा : ‘यह युद्ध कल ही समाप्त हो सकता है यदि हमास अपने हथियार डाल दे और हमारे बंधक लौटा दे… और इस्राइल उन सब की सुरक्षा की गारंटी देगा जो हमारे बंधक वापस करेगा’। नेतन्याहू की उक्त पेशकश से पता चलता है कि इस्राइली जनता अपने उन प्रियजनों के भाग्य को लेकर किस कदर निरंतर तड़प रही है, जो गाज़ा की सुरंगों में कहीं कैद हैं। उनकी रिहाई के बिना, उस लड़ाई का अंत नहीं हो सकता जो इस्राइल के इतिहास में सबसे लंबे समय तक चलने वाला युद्ध बन चुका है। फिर भी, यह उम्मीद कि हमास के बंदीकर्ता नेतन्याहू की पेशकश पर सकारात्मक प्रतिक्रिया देंगे, पूरी नहीं हो पाई। इससे भी बदतर, सिनवार के डिप्टी खलील अल-हय्या अपने किसी अन्य लड़ाके सहयोगी की तर्ज पर अड़ियल साबित हुए हैं, उन्होंने इस्राइली जनता को एक टेलीविज़न संबोधन में कहा, ‘जब तक गाज़ा पट्टी के खिलाफ इस्राइली आक्रमण रुक नहीं जाता, तब तक बंधकों को रिहा नहीं किया जाएगा’।
फिलहाल हमास के सबसे बड़े इस नेता की यह घोषणा इस्राइलियों को याद दिलाती है कि सिनवार की मौत के बाद उनका जश्न और उम्मीदें समय से पूर्व हैं। दूसरे शब्दों में, युद्ध जारी रहेगा, और यह खबर दोनों पक्षों के लिए बुरी है। इस्राइल गाजा के दलदल में और भी गहराई तक डूबता चला जाएगा और फलस्तीनी नागरिकों को उस मौत और विनाश का सामना करना पड़ेगा, जिसमें मृतकों की संख्या 40,000 से अधिक हो चुकी है। दुख की बात है कि गाज़ा के मामले में इस्राइलियों के पास कोई स्पष्ट दीर्घकालिक रणनीति नहीं है। उन्हें फलस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता और उनके दैनिक कष्टों की कोई चिंता नहीं है। उसका एकमात्र ध्यान उन बंधकों पर है, जो एक खुले नासूर का द्योतक बने हुए हैं और पिछले अक्तूबर के हमले के लिए जिम्मेदार प्रत्येक व्यक्ति को खत्म करने पर है।
इस्राइली समाज के मनोविज्ञान को समझने की कोशिश करने के लिए उस इलाके के स्थापित मानदंडों और मानसिकता को समझने की आवश्यकता है जहां राष्ट्रीय सम्मान सबसे ज्यादा अहम है। तदनुसार, हमास का हमला हैरानी और सैन्य एवं खुफिया तंत्र की नाकामी के झटके से कहीं अधिक रहा। यह उस गर्वीले समाज के लिए अतुलनीय अपमान की तरह था, जिसे अपने अरब और इस्लामी प्रतिद्वंद्वियों के ऊपर अपनी सैन्य और तकनीकी श्रेष्ठता पर सदा नाज़ रहा है। पजामा पहने असहाय इस्राइलियों को उनके बेडरूम और रसोईघर से घसीट ले जाने के दृश्य और यहूदी महिलाओं के कथित यौन शोषण की व्यापक रूप से प्रचारित खबरें नेतन्याहू और उनके देशवासियों को सालती रहती हैं। उनके लिए, यह उनके राष्ट्रीय स्वाभिमान को अप्रत्याशित दीर्घकालिक परिणामों के साथ एक क्रूर झटका है।
हर सुबह, खुद को आईने में देखते हुए, इस्राइलियों के पास यह सोचने की हर वजह है कि उनके दुश्मन अभी भी उन्हें चिढ़ा रहे हैं, शायद बल्कि, इस मलाल के साथ हथेलियां मलते हुए कि कुछ समय के लिए सही, हमास ने अजेय कही जाने वाली महाशक्ति को अक्तूबर 2023 में अपने घुटनों पर ला दिया था।
लेखक लंदन स्थित वरिष्ठ पत्रकार हैं।