कुलदीप सिंह/निस
चंडीगढ़, 29 अक्तूबर
पंजाब की राजनीति में शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के प्रधान पद के चुनाव में हरजिंदर सिंह धामी की भारी जीत ने सुखबीर बादल के दबदबे को और मजबूत किया है। हालांकि, इससे अकाली दल की स्थिति कमजोर हुई है। सुधार लहर के नेताओं का मनोबल भले ही कम हुआ हो, लेकिन आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारी में एकजुटता आवश्यक है।
धामी को 142 मतों में से 107 वोट मिले, जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी बीबी जागीर कौर को सिर्फ 33 वोट मिले। कुछ साल पहले, बीबी जागीर कौर को इसी चुनाव में अधिक 42 वोट मिले थे। इस बार सुधार लहर के दावों का वोट में तब्दील होना असफल रहा। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सुखबीर बादल ने अपने अकाली दल को कठिनाइयों से निकालने में सफलता हासिल की है। इस जीत के साथ उन्होंने यह साबित किया कि वे ही अकाली दल के असली नेता हैं। हालांकि, भाजपा अभी भी अकाली दल की समर्थन की जरूरत महसूस कर रही है।
भरोसा जीतने में रहे नाकाम
सुधार लहर के नेताओं ने एसजीपीसी मेंबर्स का भरोसा नहीं जीत पाया। आगामी चुनावों के लिए पैसे और पार्टी का होना आवश्यक है, जो सुखबीर बादल की पार्टी के पास है। सुधार लहर के नेता इस मामले में सफल नहीं हुए, जिसके परिणामस्वरूप वोटों में कमी आई। सुखबीर बादल की पार्टी एसजीपीसी पर काबिज है और पार्टी के पास चुनाव लड़ने के लिए पैसा भी है। सुधार लहर के नेता इन दोनों बातों में मेंबर्स को विश्वास में नहीं ले पाए। सूत्रों के अनुसार सुधार लहर के पीछे जिन का हाथ होने के दावे किये जा रहे थे, उन्हें सुखबीर बादल ने मैनेज कर लिया था।