एस अग्निहोत्री/हमारे प्रतिनिधि
मनीमाजरा (चंडीगढ़), 29 अक्तूबर
दीपावली से पहले मंगलवार को चंडीगढ़ नगर निगम की बैठक में जोरदार हंगामा देखने को मिला। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि नगर निगम, जो वित्तीय संकट का सामना कर रहा है, शहर के सरकारी भवनों से 100 प्रतिशत टैक्स की वसूली करेगा।
बैठक में सभी पार्षदों ने एकमत होकर यह प्रस्ताव पारित किया कि 25 प्रतिशत की छूट समाप्त कर दी जाएगी। यह सहमति तब बनी जब सरकारी कावनों पर दो प्रतिशत सर्विस टैक्स का प्रस्ताव चर्चा के लिए लाया गया। पहले निगम ने टैक्स वसूली में रिबेट देने का प्रावधान रखा था, जिसे अब समाप्त करने का निर्णय लिया गया।
हालांकि, बैठक के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) की पार्षद प्रेमलता की एक टिप्पणी ने हंगामा मचा दिया। भाजपा के पार्षदों ने इस पर विरोध जताते हुए नारेबाजी की, जिसके कारण मेयर कुलदीप कुमार को बैठक रोकनी पड़ी। हंगामा बढ़ने पर मेयर ने टी ब्रेक का ऐलान किया। भाजपा के पार्षद माफी की मांग पर अड़ गए और सदन में विरोध प्रदर्शन किया। मेयर ने दोनों पार्षदों प्रेमलता और गीता चौहान को अपने शब्द वापस लेने की सलाह दी। भाजपा पार्षद कंवरजीत राणा ने स्पष्ट किया कि जब तक प्रेमलता माफी नहीं मांगती, तब तक बैठक शुरू नहीं होने देंगे।
इस बीच, दोनों पक्षों के पार्षदों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। बहस ने मेयर चुनाव में धांधली और अन्य मुद्दों को छू लिया। लगभग एक घंटे की बहस के बाद, सभी पार्षदों ने प्रेमलता और गीता चौहान को गले मिलाकर मामला शांत किया।
बैठक में मेयर चुनाव के संदर्भ में, गठबंधन के पार्षदों ने मेयर, सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव को खुले हाथ उठाकर टेबल प्रस्ताव के माध्यम से पारित करने का निर्णय लिया। भाजपा ने इसका विरोध करते हुए कहा कि यह गुप्त मतदान का उल्लंघन है। कांग्रेस पार्टी ने इस निर्णय का स्वागत करते हुए इसे चुनावी व्यवस्था को स्वच्छ बनाने की दिशा में एक सही कदम बताया। इसके अतिरिक्त, सदन में रोज फेस्टिवल के आयोजन का प्रस्ताव भी पारित किया गया। हालांकि, इस दौरान चर्चा में यह बात सामने आई कि इस तरह के इवेंट में राजस्व कमाने के संसाधनों की कमी हो सकती है।
अंत में, नगर निगम ने सरकारी भवनों के कमर्शियल और रेजिडेंशियल डिफॉल्टर्स की सूची भी जारी की। इस सूची में सबसे ज्यादा बकाया पंजाब यूनिवर्सिटी का है, जिसका कुल बकाया 67.58 करोड़ रुपये है। वहीं, पीजीआई का बकाया 41.54 करोड़ रुपये है। अन्य डिफॉल्टर्स में पैक डायरेक्टर ऑफिस, एनआईटीटीआर, और केंद्रीय विद्यालय भी शामिल हैं।
कमर्शियल स्तर पर प्रमुख डिफॉल्टर्स में स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स,
सेक्टर 42 – 6.13 करोड़ रुपये
बिजली ग्रिड,
सेक्टर 23 – 2.70 करोड़ रुपये
जिला अदालत,
सेक्टर 43 – 1.03 करोड़ रुपये