घटती घरेलू बचत
उनतीस अक्तूबर के दैनिक ट्रिब्यून के सम्पादकीय पृष्ठ पर जयंतीलाल भंडारी के लेख में घरेलू बचत के घटने पर चिंता व्यक्त की गई है। घरेलू बचत, जो किसी व्यक्ति की आय का शेष हिस्सा होती है, जो 2006-07 में जीडीपी का 18 प्रतिशत थी, लेकिन 2022-23 में यह घटकर 5.2 प्रतिशत पर आ गई है। इसका मुख्य कारण छोटी बचत योजनाओं जैसे राष्ट्रीय बचत प्रमाण पत्र और सुकन्या समृद्धि योजना पर कम ब्याज दर है, जिससे छोटे निवेशक शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड और सोने की ओर आकर्षित हो रहे हैं। साथ ही, बढ़ते कर्ज, जैसे आवास और शिक्षा के लिए ऋण, भी घरेलू बचत में कमी का कारण बन रहे हैं। इस स्थिति का समाधान जरूरी है।
जयभगवान भारद्वाज, नाहड़, रेवाड़ी
विकास और चुनौतियां
ई-कॉमर्स के बढ़ने से हमारे देश में रोजगार के अवसर बढ़े हैं और लोग समय व पैसे की बचत कर रहे हैं। हालांकि, इसके साथ ही छोटे व्यवसायियों को नुकसान का खतरा भी है। इसलिए, सरकार को इस क्षेत्र का नियमन करते हुए संतुलन बनाना होगा ताकि सभी व्यापारियों के हित सुरक्षित रहें। साथ ही, ई-कॉमर्स की पहुंच गांवों तक सीमित है, जहां आधारभूत सुविधाओं का अभाव है। इसीलिए, यह कहना उचित है कि ई-कॉमर्स के फायदे और नुकसान दोनों हैं, और सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
राजेश कुमार चौहान, जालंधर
सावधानी और सतर्कता
आजकल साइबर अपराधी लोगों की जानकारी एकत्र कर, और वीडियो काल पर जांच एजेंसी का प्रतीक चिन्ह लगा उन्हें बेवकूफ बना, पैसे ऐंठ रहे हैं। ऐसे फर्जी काॅल आने पर लोगों को सावधानी और सतर्कता से काम लेने की आवश्यकता है। सरकार की भी जिम्मेदारी बनती है कि डिजिटल अरेस्ट के बारे में लोगों को जागरूक करे। लोगों को अज्ञात फोन काल लेने से पहले सोचना चाहिए और उन पर भरोसा कर बहकावे में नहीं आना चाहिए।
अभिलाषा गुप्ता, मोहाली
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