कुमार मुकेश/हप्र
हिसार, 1 नवंबर
हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में दशकों पुराने बिश्नोई परिवार के आदमपुर गढ़ के ढहने के बाद इस बार दीपावली में आदमपुर मंडी में पहली बार दो धड़े बने। विधायक चंद्र प्रकाश ने जहां आदमपुर के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में वहीं बिश्नोई परिवार ने अपने आवास पर लोगों से मुलाकात की। दोनों कार्यक्रम में अगर कोई समानता थी तो वह थी मिठाई की और दोनों ही कार्यक्रम में नेताओं ने अपने कार्यकर्ताओं को बधाई देने के लिए लड्डुओं को चुना।
लोगों से मुलाकात करते हुए भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई ने कहा कि भले ही कुछ मतों के अंतर से विधानसभा चुनाव हार गए हैं लेकिन हलके की जनता के साथ उनका रिश्ता महज राजनीतिक नहीं बल्कि पारिवारिक है और पहले की तरह वे अपने परिवार के साथ रहेंगे। हलके में विकास कार्यों की कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। कार्यक्रम में भाजपा युवा मोर्चा के प्रदेश प्रभारी पूर्व विधायक भव्य बिश्नोई, पूर्व विधायक रेनुका बिश्नोई, नलवा से विधायक रणधीर पनिहार सहित पारिवारिक सदस्य मौजूद थे। भव्य बिश्नोई ने कहा कि विधानसभा चुनाव की हार को लेकर वे 2 नवंबर से गांव-गांव जाकर लोगों के बीच मंथन करेंगे तथा चुनाव में साथ देने पर मतदाताओं का आभार जताएंगे।
वहीं, दूसरी तरफ आदमपुर के विधायक एवं सेवानिवृत्त आईएएस चंद्रप्रकाश ने आदमपुर के पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में हलकावासियों से मुलाकात करके उन्हें दीपावली व विश्वकर्मा दिवस की बधाई प्रेषित की। उन्होंने कहा कि मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ-साथ आदमपुर को प्रगति के पथ पर अग्रसर करने के लिए भी विशेष प्रयास किए जाएंगे। इस अवसर पर वरिष्ठ नेता प्रदीप बेनीवाल, आशीष कुक्की, रेणु चहल, कालूराम पंडित, भूपेंद्र कासनिया सहित काफी गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
इस दौरान चंद्रप्रकाश ने कहा कि मंडियों में अनाज की खरीद के लचर प्रबंधों के कारण किसान बुरी तरह परेशान हैं। उन्होंने कहा कि बालसमंद व आदमपुर मंडी में धान व मूंग की खरीद के न तो समुचित प्रबंध हैं और न ही किसानों की सुविधा के लिए कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा किसान हित के बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन असलियत तो यह है कि किसान, मजदूर, गरीब व पिछड़ा वर्ग विभिन्न समस्याओं की मार झेल रहा है। अनाज की खरीदारी तो पहले से तय थी लेकिन सरकार व प्रशासन ने इस कार्य के प्रति कोई गंभीरता नहीं दिखाई। भाजपा हर वर्ष खाद उपलब्ध करवाने के बड़े-बड़े दावे तो करती है लेकिन किसान को हर वर्ष डीएपी के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।