पिंजौर, 2 नवंबर (निस)
कई वर्षों से घाटे में चल रही एचएमटी ट्रैक्टर फैक्टरी को केन्द्र सरकार द्वारा अक्तूबर 2016 को बंद कर इसे किसी दूसरी कंपनी को लीज पर देने का निर्णय लिया गया था लेकिन गत 8 वर्षों से यह मामला अभी तक लटका हुआ है। हालांकि केन्द्रीय भारी उद्योग मंत्रालय के अधीन सार्वजनिक उपक्रम एचएमटी द्वारा इसके लिए ऑनलाइन टेंडर भी निकाले गए थे। एचएमटी प्लांट सोनालिका सहित अन्य किसी दूसरी ट्रैक्टर कंपनी को देने की बात भी सार्वजनिक की गई थी लेकिन मामला कहां पर अटका हुआ है यह बात उजागर नहीं की गई है।
उधर पिंजौर, कालका क्षेत्र के तकनीकि शिक्षा प्राप्त कर चुके हजारों युवाओं को आज भी फैक्टरी पुनः चलने की आस बनी हुई है कि उन्हें यहीं पर रोजगार मिलेगा। अभी तक क्षेत्र के अधिकतर युवक हिमाचल प्रदेश के बद्दी-नालागढ़, परवाणु या चंडीगढ़, डेराबस्सी की कंपनियों में नौकरियों की तलाश करते हैं जहां सभी को रोजगार नहीं मिल पाता। बता दें कि एचएमटी ट्रैक्टर फैक्टरी बंद कर इसके हजारों कर्मियों को वीआरएस देकर कंपनी से विदा कर दिया गया था। परिणामस्वरुप फैक्टरी बंद होने के बाद से सैकड़ों एकड़ में फैली फैक्टरी की अरबों रुपये की मशीनरी और बचे पड़े मैटीरियल को जंग लग रहा है । यदि जल्द ही फैक्टरी को न चालू किया गया तो कीमती मशीनरी किसी कीमत की नहीं रहेगी।
एचएमटी के पूर्व कर्मियों, पिंजौर वासियों ने कई बार केन्द्र और प्रदेश सरकारों से फैक्टरी पुनः चलाने, किसी दूसरी कंपनी को देने या इसे रक्षा विभाग को देने की मांग की थी लेकिन आज तक उस पर कोई अमल नहीं हुआ है। क्योंकि यहां वो सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध हैं जो किसी भारी उद्योग को लगाने के लिए आवश्यक होती हैं।
1971 में हुई थी एचएमटी ट्रैक्टर यूनिट की स्थापना
एचएमटी ट्रैक्टर यूनिट की स्थापना 1971 में हुई थी । यहां सभी प्रकार के मॉडल व उच्च तकनीक के ट्रैक्टर बने। इसके अलावा रोटावेटर, जनरेटर, ट्रॉन्टर यानी हाई स्पीड ट्रैक्टर, हाई क्लेरेंस मशीन, सप्रेयर फॉर सुगरकेन गन्ने पर दवाई छिड़कने वाला यंत्र, सिंगल केन, सिंगल ड्रम एंड डबल ड्रम विच और लोडर एंड बैक हो मशीन आदि बनाकर रक्षा विभाग को भी सप्लाई किए गए थे। बावजूद इसके उत्तरी हरियाणा की जीवन रेखा कही जाने वाली फैक्टरी कोे चलाने के विषय में फिलहाल कोई कार्यवाही होती नजर नहीं आ रही।