नयी दिल्ली, तीन नवंबर (भाषा)
Stock Market Review: अमेरिका में पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की गतिविधियों और घरेलू कंपनियों के तिमाही नतीजे इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय करेंगे। विश्लेषकों ने यह राय जताई है।
विशेषज्ञों ने कहा कि यह सप्ताह काफी घटनाक्रमों वाला रहेगा। सप्ताह के दौरान कई वृहद आर्थिक आंकड़े आने हैं, जो बाजार की दिशा के लिए महत्वपूर्ण होंगे। इसके अलावा वैश्विक रुख से भी बाजार को दिशा मिलेगी। स्वस्तिका इन्वेस्टमार्ट लिमिटेड के शोध प्रमुख संतोष मीणा ने कहा, ‘‘यह सप्ताह वैश्विक मोर्चे पर घटनापूर्ण होने वाला है। पांच नवंबर को होने वाला अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव पर सभी की निगाह है। इसके अलावा अमेरिकी एफओएमसी (फेडरल ओपन मार्केट कमेटी) की बैठक महत्वपूर्ण होगी। भू-राजनीतिक दबाव और कच्चे तेल की कीमतें भी बाजार को प्रभावित करेंगी।”
मीणा ने कहा कि घरेलू मोर्चे पर दूसरी तिमाही के नतीजों का अंतिम चरण काफी महत्वपूर्ण रहने वाला है। साथ ही सभी की निगाह विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) के रुख पर रहेगी। मास्टर कैपिटल सर्विसेज लिमिटेड की निदेशक पल्का अरोड़ा चोपड़ा ने कहा, ‘‘बाजार का परिदृश्य अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव और एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई, सेवा पीएमआई, फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय, अमेरिकी एसएंडपी ग्लोबल कम्पोजिट पीएमआई, ग्लोबल सेवा पीएमआई और बैंक ऑफ इंग्लैंड (बीओई) के ब्याज दर पर निर्णय से दिशा लेगा।”
प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई ने एक नवंबर को दिवाली के अवसर पर एक घंटे का विशेष ‘मुहूर्त कारोबार’ आयोजित किया, जो नए संवत 2081 की शुरुआत का प्रतीक है। रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के वरिष्ठ उपाध्यक्ष (शोध) अजित मिश्रा ने कहा, ‘‘इस सप्ताह निवेशकों की निगाह अमेरिकी बाजार के घटनाक्रमों पर रहेगी। खासकर पांच नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव और फेडरल रिजर्व की नीतिगत बैठक पर।”
मिश्रा ने कहा, ‘‘घरेलू मोर्चे पर डॉ. रेड्डीज, टाइटन, टाटा स्टील, महिंद्रा एंड महिंद्रा और टाटा मोटर्स सहित अन्य कंपनियों के तिमाही नतीजे आएंगे। साथ ही एचएसबीसी विनिर्माण पीएमआई और सेवा पीएमआई जैसे प्रमुख आंकड़े जारी होंगे, जो बाजार की दृष्टि से काफी महत्व रखते हैं। पिछले महीने विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की सतत बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांक अपने सर्वकालिक उच्चस्तर से सात प्रतिशत से अधिक नीचे आ गए।
जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा,‘‘ वैश्विक बाजार कुछ दिन तक अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों पर प्रतिक्रिया देंगे, जिसके बाद अमेरिका के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि, मुद्रास्फीति और फेडरल रिजर्व के ब्याज दर पर निर्णय जैसे बुनियादी कारक बाजार की चाल को प्रभावित करेंगे।”
एफपीआई ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से 94,000 करोड़ रुपये निकाले
विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने अक्टूबर में भारतीय शेयर बाजार से 94,000 करोड़ रुपये (करीब 11.2 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाले हैं। इस तरह यह एफपीआई की निकासी के मामले में सबसे खराब महीना रहा है। घरेलू बाजारों में ऊंचे मूल्यांकन तथा चीन के शेयरों के आकर्षक मूल्यांकन की वजह से एफपीआई भारतीय बाजार में बिकवाल बने हुए हैं।
इससे पहले विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने मार्च, 2020 में शेयरों से 61,973 करोड़ रुपये निकाले थे। एफपीआई ने इस ताजा निकासी से पहले सितंबर में शेयरों में 57,724 करोड़ रुपये डाले थे। यह उनके निवेश का नौ माह का उच्चस्तर था।अप्रैल-मई में 34,252 करोड़ रुपये निकालने के बाद जून से एफपीआई लगातार लिवाल रहे थे।
मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक, प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि भविष्य में भू-राजनीतिक घटनाक्रम, ब्याज दरों में उतार-चढ़ाव, चीनी अर्थव्यवस्था में प्रगति और अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे जैसे वैश्विक घटनाक्रम भारतीय शेयरों में विदेशी निवेश को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने कहा कि घरेलू मोर्चे पर मुद्रास्फीति का रुख, कंपनियों के तिमाही नतीजे और त्योहारी मांग के आंकड़ों पर एफपीआई की निगाह रहेगी। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने अक्टूबर में 94,017 करोड़ रुपये की शुद्ध निकासी की है। पूरे महीने में सिर्फ एक दिन एफपीआई लिवाल रहे हैं। इस तरह 2024 में शेयरों में उनका कुल निवेश घटकर 6,593 करोड़ रुपये रह गया है।
एफपीआई की बिकवाली की वजह से प्रमुख सूचकांक अपने शीर्ष स्तर से काफी नीचे आ गए हैं। आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि के दौरान बॉन्ड से सामान्य सीमा के माध्यम से 4,406 करोड़ रुपये निकाले हैं और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग (वीआरआर) से 100 करोड़ रुपये का निवेश किया है।