श्रीनगर, 4 नवंबर (एजेंसी)
नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के वरिष्ठ नेता और चरार-ए-शरीफ से सात बार के विधायक अब्दुल रहीम राथर को सोमवार को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की विधानसभा का पहला अध्यक्ष चुना गया। इसके तुरंत बाद पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) के विधायक वहीद पारा ने पूर्ववर्ती राज्य जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया तथा पूर्ववर्ती राज्य को मिला विशेष दर्जा बहाल करने का आह्वान किया, जिसे लेकर सदन में खूब हंगामा हुआ।
पुलवामा से विधायक पारा ने कहा, ‘जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए यह सदन विशेष दर्जा समाप्त किये जाने का विरोध करता है।’ इस पर भाजपा के सभी 28 विधायकों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर विरोध जताया। भाजपा विधायक श्याम लाल शर्मा ने पारा पर विधानसभा नियमों का उल्लंघन कर प्रस्ताव लाने का आरोप लगाया और इसके लिए उन्हें निलंबित करने की मांग की। स्पीकर राथर ने विरोध कर रहे सदस्यों से अपनी सीट पर जाने का बार-बार अनुरोध किया। हंगामे के बीच ही उन्होंने कहा कि प्रस्ताव अभी उनके पास नहीं आया है और जब आएगा, तब वे इसकी जांच करेंगे। भाजपा सदस्यों के नहीं मानने पर नेकां विधायकों ने सदन की कार्यवाही में बाधा डालने के लिए नाराजगी जाहिर की। शोरगुल के बीच नेकां विधायक शब्बीर कुल्ले आसन के समक्ष आ गए। राथर ने जब बताया कि उपराज्यपाल मनोज सिन्हा सदन को संबोधित करेंगे तो भाजपा सदस्य शांत हो गए। मुख्यमंत्री और सदन के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘इस मुद्दे को कैसे उठाया जाए और इसे रिकॉर्ड पर कैसे लाया जाए, इसका फैसला एक विधायक नहीं करेगा। आज लाए गए प्रस्ताव का कोई महत्व नहीं है, सिवाय इसके कि यह कैमरे के लिए (खबरों में आने के लिए) किया गया था।’ उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में हम अध्यक्ष से परामर्श करके एक प्रस्ताव लाएंगे।