चंडीगढ़, 5 नवंबर (ट्रिन्यू)
हरियाणा में मंत्रियों की संख्या अधिक होने के विरोध में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने मंगलवार को हरियाणा तथा केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा है। इस मामले में अगली सुनवाई 19 दिसंबर को होगी। याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट से अपील करते हुए कहा कि तय संख्या से अधिक मंत्री होने के चलते अतिरिक्त मंत्रियों को हटाया जाए। याचिका लंबित रहने तक उन्हें मिलने वाले लाभ पर भी रोक लगाई जाए।
इससे पहले भी एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने हरियाणा में 13वीं तथा 14वीं विधानसभा के दौरान 15 फीसदी से ज्यादा मंत्री बनाए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया था। 17 अक्तूबर को नायब सैनी के अलावा 13 मंत्रियों ने शपथ ली थी। इसके बाद 18 अक्तूबर को एडवोकेट जगमोहन भट्टी ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। याचिका में आरोप लगाया गया कि मंत्रिमंडल में अधिकतम मंत्री 13.5 हो सकते हैं, लेकिन हरियाणा में इस समय 14 मंत्री हैं।
संविधान के 91वें संशोधन के तहत राज्य में कैबिनेट मंत्रियों की संख्या विधानसभा के कुल विधायकों की संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। याचिका में भट्टी ने हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, अनिल विज, कृष्णलाल पंवार, राव नरबीर, महीपाल ढांडा, विपुल गोयल, डॉ़ अरविंद शर्मा, श्याम सिंह राणा, रणबीर गंगवा, कृष्ण कुमार बेदी, श्रुति चौधरी, आरती राव, राजेश नागर और गौरव गौतम के अलावा केंद्र सरकार व हरियाणा विधानसभा को प्रतिवादी बनाया है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि हरियाणा सरकार द्वारा जो मंत्री पद और कैबिनेट रैंक बांटी गई हैं, उसका सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। विधायकों को खुश करने के लिए मंत्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है और उनको भुगतान जनता की कमाई से किया जाता है। हाईकोर्ट द्वारा आज याचिका को स्वीकार किए जाने के बाद अब 19 दिसंबर को अगला निर्णय दिया जाएगा।