जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 नवंबर
2047 तक ‘विकसित भारत बनाने के लिये स्वदेशी तकनीक’ विषय पर पंजाब विश्वविद्यालय में शुरू हुई तीन दिवसीय चंडीगढ़ साइंस कांग्रेस (चैसकॉन) में उद्घाटन भाषण देने आये आईएनएसए (इंडियन नेशनल साइंस एकेडमी) के अध्यक्ष प्रो. अाशुतोष शर्मा ने एक विशेष बातचीत में कहा कि देश को विकसित बनाने के लिये पांच अहम कारक सिद्ध होंगे जिसमें सबसे पहले आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) प्रमुख है, जिसके आने रोजगार के अवसर कम नहीं होंगे बल्कि योग्यता में इजाफा होगा। बस इसके लिये केवल मात्र अच्छी नीतियों और बेहतरीन योजनाओं की दरकार रहेगी। आने वाला जमाना एआई और रोबोटिक्स का है जिसमें रोबोट तो मात्र एक मशीन है जबकि मशीन के पीछे लगे एआई-सेंसर का ही मुख्य रोल है। इसके पीछे परसेप्शन, इंटरनेट, डेटा और डिसीजन का काम एआई का ही होगा। दूसरा, भविष्य में ड्रोन का ही सेवा क्षेत्र, इन्फ्रास्ट्रक्चर, स्मार्ट सिटी, डिफेंस में बोलबाला होने जा रहा है। हालिया भू-स्थानिक नीति के महत्व पर प्रकाश डाला, जो सर्वेक्षण और मानचित्रण पर प्रतिबंधों को हटाता है, जैसा कि ‘स्वामित्व’ योजना जैसी पहल के साथ देखा गया है, जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भूमि के लिए स्वामित्व प्रमाण पत्र प्रदान करना है। सर्वेइंग मैपिंग के तहत यह पता लग जायेगा कि कौन, कब और कहां है? ड्रोन उड़ाने पर रोक लगाना वाजिब नहीं है, बल्कि इसकी काट टेक्नोलॉजी में ही ढूंढनी होगी। उन्होंने बताया कि न्याय पाने में भी अब एआई के चलते कम वक्त लगेगा क्योंकि इससे पुराने केस और क्लेरिकल काम मिनटों में हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह से शुरू में कंप्यूटर पर काम का विरोध हुआ उसी तरह से एआई के इस्तेमाल का भी विरोध हो सकता है मगर वास्तविकता यही है कि इससे काम आसान होगा और जल्द होगा। तीसरा, क्वांटम तकनीक से संचार और सभी तरह की फोन लाइनें पहले से ज्यादा सुरक्षित हो जायेंगी। चौथा, रिन्यूएबल एनर्जी जिसे ग्रीन एनर्जी भी कहा जा सकता है। विंड और सोलर एनर्जी से हाइड्रोजन मिलेगी। सवाल यही होगा कि मोलीक्यूल को अलग करके कैसे इसे स्टोर किया जाना है। इस ग्रीन एनर्जी को कैसे ट्रांसपोर्ट किया जाना और इसका सुरक्षित तरीके से उपयोग एक बड़ी चुनौती होगी। हाइड्रोजन के उपयोग से प्रदूषण फैलाने वाले तेल व कोयला जैसे ऊर्जा संसाधनों पर निर्भरता कम होगी। पांचवां, सेमीकंडक्टर टेक्नोलॉजी भारत का भविष्य है क्योंकि किसी फोन या किसी भी सैन्य या सिविल उपकरण में चिप की आवश्यकता होती है जिससे गवर्नेंस, कृषि डिफेंस सभी सेक्टर प्रभावित होंगे। इसके अतिरिक्त सोशल लाइफ और पर्सनल लाइफ पर भी एआई का सीधे असर पड़ने वाला है और हमारा जीवन इन्हीं से मॉनिटर होने वाला है।