भिवानी, 7 नवंबर (हप्र)
सत्संग जीव के अवगुण मिटा कर उसे प्रभु के रास्ते पर चलाता है। अगर कोई भी जीव सत्संग में बार-बार आता है तो उसका जीवन पूर्ण रूप से बदल जाता है लेकिन सत्संग बिना सतगुरु के संभव नहीं है। जिसे पूर्ण सतगुरु मिल जाता है उसका लेखा निबट जाता है। सतगुरु करनी का भेद बताता है। बिना करनी के कल्याण संभव नहीं है। ये बातें सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने दिनोद गांव में स्थित राधास्वामी आश्रम में संगत के समक्ष प्रकट की।
गुरु महाराज ने कहा कि वर्तमान सबसे बड़ा है। वर्तमान में आपको गुरु मिला, सत्संग मिला, इसलिए इसे संवारो। जो बीत गया, उसे भूल जाओ। अब केवल आगे की सुध लो, करनी करो। नि:सन्देह करनी बड़ी कड़वी होती है। हम कह तो देते हैं लेकिन उसे कर नहीं पाते। भक्ति तो बिना करनी के असंभव है। कहनी के भक्त बगुला भक्त हैं लेकिन करनी के भक्त सच्चे साधक होते हैं।
गुरु महाराज ने कहा कि परिवर्तन यदि करना है तो अपने आप में करो। और कुछ नहीं बदलना। मन को पाक-पवित्र रखो। तन, मन और धन को गुरु को समर्पित कर दो। यदि हम गुरु वचन को नहीं मानते हैं तो समझो हम भक्ति भी नहीं करते। हम न तो गुरु के वचन को मानते हैं और न ही विषय विकारों से छुटकारा पाते हैं, फिर कल्याण की कामना हम किस मुंह से करते हैं। उन्होंने कहा कि पॉलीथिन का प्रयोग मत करो, प्रकृति का, जल का और पर्यावरण का संरक्षण करो। जल और बेटी को सुरक्षित करो। दोनों के बिना सृष्टि संभव नहीं है।