जींद, 10 नवंबर (हप्र)
जींद जिले की आबोहवा सर्दी की हल्की दस्तक के बावजूद जहरीली बनी हुई है। इसी बीच जिला पुलिस ने अलग-अलग जगहों पर खेतों में पराली जलाने पर 51 किसानों के खिलाफ मामले दर्ज किए हैं। इस समय शहर का वातावरण इस कद्र प्रदूषित है कि दोपहिया वाहन चलाते हुए आंखों से पानी रुकने का नाम नहीं लेता है। जरा सा परिश्रम करते ही सांस फूलने लगती है। रविवार को जींद का एक्यूआई 240 के आसपास रहा। सुबह के समय वातावरण में स्माॅग भी छाया रहा।
जिले में अबतक 70 जगह धान की पराली जलाने की लोकेशन मिली हैं। अधिकारी मौके पर पहुंचे और 51 जगह पराली को जलाया जाना सही पाया गया है। जिला पुलिस ने रोक के बावजूद फसली अवशेष जलाने पर 51 किसानों के खिलाफ मामले भी दर्ज किए हैं। एक लाख पांच हजार रुपये जुर्माना भी वसूला है। शनिवार रात को भी जिला में अलग-अलग जगह पर फसल अवशेष जलाने की लोकेशन मिली, जिस पर संबंधित थाना पुलिस ने गांव कालवन निवासी कृष्ण, रामकला, सुभाष, गांव धमतान साहिब के बलवान, गांव लिजवाना खुर्द के राजेंद्र, गांव गढवाली के पवन, गांव अलेवा निवासी प्रवीन, गांव बराखेड़ा निवासी आशीष, रमेश, गांव नगूरां निवासी राहुल के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सांस के रोगियों, बच्चों, बुजुर्गों के लिए खतरनाक
पिछले एक पखवाड़े से जींद की आबोहवा सांस के रोगियों, बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरनाक बनी हुई है। आंखों में लगातार प्रदूषण के कण जाने से जलन बढ़ रही है। दमा के मरीजों को इस मौसम से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। जिले में इस समय वायु का प्रदूषण 241 तक पहुंच चुका है। सिविल अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. आरएस पूनिया का कहना है कि प्रदूषण से सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे बच्चों को होती है। बच्चों को सांस लेने में परेशानी होती है। छोटे बच्चों को इस समय घरों से बाहर ज्यादा नहीं ले जाने की सलाह अभिभावकों को दी जाती है।