भिवानी, 14 नवंबर (हप्र)
सेवा से बढ़ कर नेकी नहीं, दरबार की सेवा सतगुरु की रजा है और सतगुरु की रजा साक्षात परमात्मा की सेवा है। गुरु नानक साहेब की जयंती और गंगा स्नान के दोहरे महत्व को बयां करते इस सत्संग में सेवा करने वाले सेवादारों को भी दोहरा लाभ मिलेगा।
पहला लाभ आपकी रहनी पाक साफ होएगी और दूसरा लाभ यह सेवा आपके अगत को भी सुधारेगी। यह वचन परमसंत सतगुरु कंवर साहेब महाराज ने गुरु नानक जयंती के अवसर पर होने वाले सत्संग की तैयारियाें में जुटे सेवादारों को सत्संग फरमाते हुए व्यक्त किए।
गुरु महाराज ने कहा कि संतो की बानी के एक-एक अक्षर में इतना ज्ञान होता है कि उनका एक वचन भी आपका कल्याण कर देता है। जीवन बहुत छोटा है अत: इंसान को चाहिए कि वह अपने इस अल्पकाल का प्रभु की भक्ति करके सदुपयोग करे। बार-बार मन को नेकी के लिए चेताओ। अपने छोटे से जीवन में दो ही बातों पर अमल करो या तो परमात्मा की बन्दगी या सत्कर्म।
हुजूर कंवर साहेब ने फरमाया कि बड़े-बड़े राजा महाराजा, धनी बली जति आये और चले गए लेकिन अमर केवल वो हुए जिन्होंने नेकी की और परमात्मा की भक्ति की। नेकी वो जिसके बदले में कोई चाह ना हो। उन्होंने फरमाया कि हम तो मां बाप का दिल दुखाते हैं, दूसरों से छल कपट करते हैं, दो कौड़ी के लाभ के लिए दूसरों की जान लेने की सोच लेते हैं। ऐसे में नेकी तो दूर की बात हमने तो पापों की गठड़ी भर ली।