जींद, 15 नवंबर (हप्र)
जींद के सिविल अस्पताल में डिलीवरी के वक्त महिला के शरीर में रुई छोड़ने के मामले में लापरवाह डॉक्टर और स्टाफ पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस मामले में महिला के परिजनों से आरोपी स्टाफ ने माफी मांग कर कार्रवाई से पीछा छुड़वा लिया तो अस्पताल प्रशासन ने भी अपने कर्मचारियों व अधिकारियों पर कार्रवाई करने की बजाय उनको सख्त निर्देश जारी करते हुए केवल चेतावनी देकर छोड़ दिया। अस्पताल प्रशासन ने महिलाओं की डिलीवरी से संबंधित कुछ नियम बनाकर चिट्ठी प्रसूति वार्ड को थमा दी। जींद के समीपवर्ती गांव निवासी युवक ने सिविल सर्जन को शिकायत देकर कहा था कि उसकी पत्नी को प्रसव पीड़ा होने पर 21 अक्तूबर को जींद के सिविल अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। उसकी पत्नी ने 22 अक्तूबर को नार्मल डिलीवरी से बच्ची को जन्म दिया। दो दिन बाद उसकी पत्नी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई। घर जाने के बाद पत्नी को तेज दर्द होने लगा। उन्होंने सोचा कि प्रसव के कारण ही दर्द हो रहा है। घर पर दवाइयां दी, लेकिन आराम नहीं हुआ। परिजन उसे दोबारा सिविल अस्पताल में लेकर आए थे। यहां जांच के दौरान पेट से रुई निकली।
जांच के नाम पर समझौता
सिविल सर्जन डॉ. गोपाल गोयल ने इस मामले की जांच सिविल अस्पताल के ईएनटी सर्जन डॉ. अरविंद को सौंपी थी। डॉ. अरविंद ने जांच पूरी की और दोनों पक्षों में समझौता करवाकर मामले को रफा-दफा कर दिया। अपनों की लापरवाही बाहर नहीं आ सके, इसके सभी प्रयास किए गए। समझौते में भी लिखा गया कि यदि ऐसी लापरवाही दोबारा हुई, तो सख्त विभागीय कार्रवाई की जाएगी। जांच टीम के सामने स्टाफ तथा चिकित्सक ने माना कि इस मामले में उनसे ही लापरवाही हुई है। पहले तो स्टाफ एक-दूसरे पर आरोप मढ़ता रहा, लेकिन बाद में इसके लिए जिम्मेदार ठहराए गए सभी स्टाफ ने शिकायकर्ता पक्ष से माफी मांगी और भविष्य में ऐसा नहीं करने की हामी भरी। इसके बाद ही समझौता हुआ। वहीं पीड़ित महिला के पति, जिसने पूरे मामले की शिकायत सिविल सर्जन से की थी, ने कहा कि जांच में खुद स्टाफ ने कबूल किया कि उनसे लापरवाही हुई है। बार-बार माफी मांगने के बाद समझौता करना ही उचित समझा। हमारा मकसद केवल इतना था कि भविष्य में ऐसा किसी मरीज के साथ नहीं हो, इसलिए समझौता कर लिया।
डिलीवरी के लिए सख्त नियम
डिलीवरी के समय महिला के पेट में रूई छोड़ने के मामले में अस्पताल स्टाफ की लापरवाही सामने आने पर अस्पताल प्रशासन ने कुछ सख्त नियम बनाए हैं। इनके तहत डिलीवरी के बाद महिला को वार्ड में शिफ्ट करते समय सभी प्रकार की जांच करनी होगी। जब वार्ड से महिला को छुट्टी मिल जाएगी, और वह घर जाएगी, उससे पहले भी सभी प्रकार से जांच करनी होगी। जिन महिला चिकित्सक ने डिलीवरी करवाई होगी, वे महिला के डिस्चार्ज कार्ड में जांच का पूरा विवरण दर्ज करेंगी।
डॉ. अरविंद को पूरे मामले की जांच सौंपी गई थी। दोनों पक्षाें में समझौता हो गया है। शिकायकर्ता आगे कोई कार्रवाई नहीं चाहते। भविष्य में ऐसी नौबत नहीं आए, इसके लिए कुछ नियमों पर काम करना होगा। समय-समय पर अस्पताल के प्रसूति वार्ड की मॉनिटरिंग भी की जा रही है। -डॉ. गोपाल गोयल, सिविल सर्जन