केवल तिवारी/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 16 नवंबर
शनिवार सुबह खिली-खिली धूप बदलते मौसम का खुशनुमा अहसास करा रही थी। मौसम के इसी खूबसूरत अंदाज में द ट्रिब्यून स्कूल का प्रांगण भी खिला-खिला सा लग रहा था। स्पीकर, लीडर ऑफ द अपोजिशन, मेंबर जैसे शब्दावलियां सुनाई दे रही थीं। बच्चों की वेशभूषा भी ऐसी थी मानो उस गीत की पंक्तियां फिजां में घुल रही हों, जिसके बोल हैं, ‘ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के।’ मौका था चंडीगढ़ के सेक्टर 29 डी स्थित द ट्रिब्यून स्कूल में आयोजित कार्यक्रम ‘द ट्रिब्यून मॉडल युनाइटेड नेशंस (एमयूएन) 2024’ का। दो दिन तक चलने वाले कार्यक्रम का प्रायोजक है चितकारा यूनिवर्सिटी जो पावर्ड है ग्रिड एडवरटाइजिंग द्वारा। कार्यक्रम रविवार को भी होगा।
कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे जस्टिस अमन चौधरी ने बच्चों को सुनने की क्षमता विकसित करने का आग्रह किया। जस्टिस चौधरी ने कहा कि जब हम शिद्दत से किसी बात को सुनेंगे तभी उस पर प्रतिक्रिया दे पाएंगे या कोई ज्ञान हासिल कर पाएंगे। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता में जीत या हार तो दूसरी बात है, अहम बात है कुछ सीखना। एक-दूसरे के विचारों को सम्मान देने की वकालत करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि दो दिवसीय इस विशेष कार्यक्रम में बच्चों को कूटनीति और राजनीति के महत्वपूर्ण मसलों को समझने की जानकारी मिलेगी। इससे पहले स्कूल की प्रिंसिपल रानी पोद्दार, कार्यक्रम संयोजक द ट्रिब्यून की डिंपल सिंह, अजय ठाकुर एवं मुकेश कलकोटी ने मुख्य अतिथि का स्वागत किया। प्रिंसिपल ने सभी भागीदार बच्चों को शुभकामनाएं दीं।
स्कूल के बच्चों ने गणेश वंदना से कार्यक्रम की शुरुआत की। इस कार्यक्रम में द ट्रिब्यून स्कूल, चंडीगढ़ के अलावा माउंट कार्मल स्कूल- चंडीगढ़, वाईपीएस पटियाला, माइंड ट्री स्कूल- खरड़, गुरुनानक पब्लिक स्कूल- चंडीगढ़, सेंट स्टीफंस स्कूल- चंडीगढ़, हंसराज पब्लिक स्कूल- पंचकूला, मोतीराम आर्य स्कूल, अंकुर स्कूल एवं चितकारा इंटरनेशनल स्कूल ने सक्रियता से भाग लिया। कार्यक्रम का अगला सत्र रविवार को होगा। इसमें जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनुवीर वशिष्ठ प्रतिभागियों को पुरस्कृत करेंगे।
जोरदार तरीके से रखे तर्क
औपचारिक तरीके से कार्यक्रम की शुरुआत के बाद विभिन्न स्कूलों से आये बच्चों की अलग-अलग टोलियों को अलग-अलग कक्षाओं में बिठाया गया। इससे पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन की तर्ज पर बच्चों ने महासचिव, सचिव आदि के रूप में मुख्य कार्यक्रम के शुरू होने की घोषणा की। अपने-अपने विषयों पर बच्चों ने अपने तर्कों को जोरदार तरीके से रखा। बात चाहे लोकसभा स्पीकर की हो या फिर नेता प्रतिपक्ष की। सत्ता पक्ष की ओर से रखे गए तर्क हों या फिर किसी बात के समर्थन की, नजारा पूरी तरह से संसद की तरह लगा। ऐसा लग रहा था कि इन बच्चों ने अपनी संसदीय परंपरा को अच्छी तरह से जाना और समझा है। कार्यक्रम में पहुंचे अनेक बच्चों ने कहा कि उन्हें यहां आकर बहुत अच्छा अनुभव हुआ।