हिसार, 17 नवंबर (हप्र)
दयानंद महाविद्यालय, हिसार में इतिहास विभाग के तत्वावधान में दो दिवसीय हरियाणा इतिहास कांग्रेस के नौवें अधिवेशन का समापन हुआ। इसमें हरियाणा को समृद्ध ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत पर इतिहासविदों ने मंथन किया और शोध के जरिए हुए पहलुओं को सामने लाने पर जोर दिया गया।
हरियाणा इतिहास कांग्रेस के नौवें अधिवेशन के समापन सत्र में मुख्य अतिथि केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के इतिहास विभाग के प्रोफेसर नारायण सिंह राव ने हरियाणा के इतिहास पर गहन शोध की जरूरत पर बल देते हुए कहा कि शोध से नए तथ्य सामने आएंगे। उन्होंने हरियाणवी संस्कृति एवं जीवन दर्शन के अनछुए पहलुओं पर प्रकाश डाला। अधिवेशन में विशिष्ट अतिथि हरियाणा पुरातत्व एवं संग्रालय विभाग की उपनिदेशक डॉ. बनानी भट्टाचार्य ने कहा कि हरियाणा के पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग ने 78 प्राचीन स्थलों की पहचान की है, जिन्हें ऐतिहासिक महत्व के संरक्षित स्थलों के रूप में अधिसूचित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विभाग ने 44 नये स्थलों की अधिसूचना जारी करवा ली है, जहां भविष्य में खुदाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि आठ अन्य स्थलों की अधिसूचना प्रक्रिया भी अंतिम चरण में है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. विक्रमजीत सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए हरियाणा इतिहास कांग्रेस द्वारा हरियाणा विरासत को बचाने पर बल दिया। उन्होंने बताया कि इस अधिवेशन में विद्यार्थियों को हरियाणा के प्राचीन, मध्यकालीन एवं आधुनिक इतिहास की गौरवशाली एवं समृद्ध परंपराओं की गहन जानकारी मिली क्योंकि शोधार्थी व विशेषज्ञों ने इस बारे में मंथन किया। अधिवेशन में इतिहास विषय पर भारत के 14 राज्यों व साउथ कोरिया के शोधार्थियों द्वारा शोध पत्र प्रस्तुत किये गए।
इस मौके पर हरियाणा इतिहास कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. यशबीर सिंह, उपाध्यक्ष डॉ. महेन्द्र सिंह बागी व महाविद्यालय में इतिहास विभाग के प्रोफेसर डॉ. महेन्द्र सिंह, डॉ. सुरूचि शर्मा, देशभर के विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों के प्राध्यापकगण, शोधार्थी एवं गैर-शिक्षकगण उपस्थित रहे।