दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 19 नवंबर
हरियाणा सरकार ने प्रदेश के किसानों को बड़ी राहत दी है। ठेके यानी पट्टे पर जमीन लेकर खेती करने वाले किसान के लिए बैंकों से ऋण लेने की राह सरकार ने आसान कर दी है। साथ ही, प्राकृतिक आपदा में फसलों के खराबे का मुआवजा भी पट्टेधारक किसानों को ही दिया जाएगा। भू-मालिकों के साथ जमीन की मलकियत को लेकर किसी तरह का विवाद ना हो, इसके लिए सरकार ने ‘पट्टेदार’ का अलग से कॉलम गिरदावरी में बनाने का अहम फैसला लिया है।
मंगलवार को विधानसभा में शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री विपुल गोयल ने कृषि भूमि पट्टा विधेयक विधानसभा में रखा। इस पर सत्तापक्ष व विपक्ष के विधायकों ने चर्चा भी की। अहम बात यह है कि यह विधेयक सर्वसम्मति से पारित किया गया। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी नायब सरकार के इस विधेयक की सराहना की। साथ ही, उन्होंने इसमें अपने कुछ सुझाव भी दिए।
हरियाणा में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो पट्टे पर जमीन लेकर खेती करते हैं। प्राकृतिक आपदा की स्थिति में बीमा कंपनियां या सरकार द्वारा दी जाने वाली मुआवजा राशि भूमि मालिक को मिलती थी। इस वजह से विवाद होता था। इससे यह डर भी था कि पट्टेदार जमीन पर कब्जा कर सकता है। इसी वजह से भूमि मालिक हर साल नये सिरे से पट्टा लिखवाते रहे हैं। कई मामलों में जमीन को खाली छोड़ने के मामले भी सामने आए। इसकी वजह से उत्पादन पर असर पड़ता है।
हरियाणा में बड़ी संख्या में ऐसे किसान हैं, जो लिखित में जमीन पट्टे पर देने में संकोच भी इसीलिए करते हैं क्योंकि उन्हें कब्जा होने का डर रहता है। मौखिक या अलिखित समझौतों के तहत पट्टे पर खेती हरियाणा में अधिक होती है। अलिखित या मौखिक समझौता होने की वजह से मुआवजा भूमि मालिक के खाते में जाता है। इसी तरह केंद्र व राज्य सरकार की ओर से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी पट्टेदार की बजाय भूमि मालिकाें को मिलती है। अब सरकार ने कानून में यह स्पष्ट कर दिया है कि जमीन पट्टे पर देने के लिए बाकायदा लिखित में एग्रीमेंट होगा। इतना ही नहीं, यह होने के बाद पट्टेदार को बैंक से फसली ऋण भी मिल सकेगा।
”कृषि भूमि पट्टे पर लेकर खेती करने वाले किसानों ही नहीं, भू-मालिकों के लिए भी यह कानून जरूरी था। जमीनी झगड़े इससे खत्म होंगे। सरकार के पास भी पूरा और सही रिकार्ड रहेगा। ठेके पर जमीन के मामलों में एक सिस्टम विकसित करना जरूरी था। कृषि भूमि को पट्टे पर देने की अनुमति देने, उसे सुगम बनाने और भू-मालिकों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए यह कानून बनाया जा रहा है।” -विपुल गोयल, राजस्व एवं आपदा प्रबंधन मंत्री।
बिना फीस होगा लिखित एग्रीमेंट विधेयक में सरकार ने प्रावधान किया है कि पट्टेदार और भूमि मालिक के बीच तहसीलदार के समक्ष लिखित एग्रीमेंट होगा। इस एग्रीमेंट के लिए किसी तरह की फीस भी सरकार ने तय नहीं की है। एग्रीमेंट होने के बाद किसी तरह के विवाद की गुंजाइश नहीं रहेगी। इतना ही नहीं, विवाद भी स्थानीय स्तर पर सुलझा लिए जाएंगे। कोर्ट जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा व रोहतक विधायक बीबी बतरा ने कुछ आपत्तियां दर्ज कराई तो मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उनका जवाब दिया।