त्रिदोष नाशक आंवला आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में प्रमुख औषधि मानी जाती है। जहां यह फल पाचन प्रक्रिया को सुचारु बनाता है वहीं इससे बने कई औषधीय योग गंभीर मानी जाने वाली बीमारियों में भी राहतकारी माने जाते हैं। डॉ. ए.के. अरुण
आंवले का उपयोग भारतीय घरों में औषधि के रूप में परंपरागत तौर पर होता है। यह वात, पित व कफ यानी तीनों दोषों का नाश करने वाला माना जाता है। चरक संहिता के अनुसार, आंवला के योग आयु बढ़ाने वाले, ज्वर में राहतकारी व त्वचा रोगों में हितकारी हैं। बेशक, यह यह सीधे तौर पर खाया जाये या फिर त्रिफले के रूप में इसका सेवन किया जाये। इसे मुरब्बा, अचार या जूस के तौर पर भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आंवला की तासीर शीतल होती है। गर्मियों में जूस के रूप में लेना पेट की जलन को शांत करता है। इसमें मौजूद विटामिन ए आदि की वजह से यह आंखों को स्वस्थ रखने में खास मददगार माना जाता है। काष्ठौषधि व रसौषधि दोनों तरह की औषधि में आंवले का उपयोग आयुर्वेद पद्धति में किया जाता है। इसे रसायन द्रव्यों में बेहतरीन माना जाता है। बालों के लिए भी यह खास लाभदायक है। बेजान और रूखे केश हो जाते हैं तब इसका प्रयोग करने से उनमें नई जान महसूस होती है। इसका पेस्ट लगाना उन्हें काले, घने और चमकदार बनाने में मददगार माना जाता है। आंवले का उल्लेख कुछ आयुर्वेदिक ग्रंथों में अमृतफल या धात्रीफल के तौर पर भी मिलता है।
विटामिन सी का समृद्ध स्रोत
आंवला एस्कॉर्बिक एसिड (विटामिन सी), कैरोटीन का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें विभिन्न पॉलीफेनोल्स जैसे एलाजिक एसिड, गैलिक एसिड, एपिजेनिन, क्वेरसेटिन, ल्यूटोलिन और कोरिलगिन शामिल हैं। आंवला की अनुमानित संरचना नीचे दी गई है। प्रति 100 ग्राम आंवले में कार्बोहाइड्रेट्स 10 ग्राम, प्रोटीन 0.80 ग्राम, वसा 0.50 ग्राम, 44 कैलोरी, फ़ाइबर 4.3 ग्राम, मैगनीशियम 10 मिलीग्राम, कैल्शियम 25 मिलीग्राम, लोहा 0.31 मिलीग्राम, पोटैशियम 198 मिग्रा व जस्ता 0.12 मिग्रा पाया जाता है।
आंवले के चिकित्सीय लाभ
आंवला पाचन कि्रया में तो मददगार है ही, कई रोगों में भी इसके चिकित्सीय गुण उपचारात्मक व राहतकारी माने जानते हैं। जानिये, कुछ प्रमुख रोगों में इसके सेवन के फायदे :-
आंवला और हाई ब्लड प्रेशर
आंवला विभिन्न एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत है। इसमें तनाव के दौरान मानव शरीर द्वारा उत्पादित फ्री रेडिकल्स को ख़त्म करने के लिए एक ज्ञात एंटीऑक्सीडेंट गुण है। आंवले में एंटीऑक्सीडेंट के साथ-साथ पोटैशियम भी उल्लेखनीय मात्रा में होता है इसलिए पोटेशियम की रक्तचाप को नियंत्रित करने की क्षमता के कारण, इसका उपयोग रक्तचाप की समस्या से पीड़ित रोगियों के आहार में नियमित रूप से किया जाता रहा है। पोटैशियम उच्च रक्तचाप के प्रबंधन में शामिल प्रमुख तंत्र रक्त वाहिकाओं को चौड़ा करता है, इस तरह यह रक्तचाप की संभावना को और कम कर देता है। बीपी में आंवले का जूस पीना कारगर साबित हो सकता है।
मधुमेह में आंवला
परंपरागत रूप से, आंवला का उपयोग मधुमेह को विनियमित या नियंत्रित करने के लिए घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। मधुमेह का मुख्य कारण व्यक्ति का तनाव की स्थिति में रहना है। आंवला विटामिन सी का एक अच्छा स्रोत है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट है जो फ्री रेडिकल्स पैदा होने और ऑक्सीडेटिव तनाव के प्रभाव को उलटने में मदद करेगा। नियमित रूप से आंवले से बने उत्पादों का सेवन करने से मधुमेह की संभावना को रोका जा सकता है।
आंवला और बेहतर पाचन
आंवले में पर्याप्त मात्रा में घुलनशील आहार फाइबर होते हैं। ये फाइबर पेट साफ़ करने और पाचन को मज़बूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं ।आंवले में विटामिन सी की मात्रा अधिक होने के कारण यह आवश्यक खनिजों को अच्छी मात्रा में अवशोषित करने में भी मदद करता है। इसलिए इसका विभिन्न स्वास्थ्य अनुपूरकों के साथ तालमेल है।
वेट लॉस में सहायक
माना जाता है कि खाली पेट आंवला जूस पीने से वेट लॉस करने में काफी मदद मिलती है। दरअसल आंवले में मौजूद डाइट्री फाइबर फुलनेस की फीलिंग देता है। व्यक्ति ऐसे में खुराक कम खाता है जिससे आखिरकार वजन नहीं बढ़ता है।