ट्रिब्यून न्यूज सर्विस
चंडीगढ़, 19 नवंबर
हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा कदम उठाते हुए हाई-टेंशन बिजली लाइनों और टावरों के लिए नई मुआवजा नीति की घोषणा की है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने मंगलवार को हरियाणा विधानसभा में इस नीति का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि किसानों को उनकी जमीन के लिए मार्केट रेट का दो गुना मुआवजा दिया जाएगा, जहां बिजली के टावर खड़े किए जाएंगे।
इस नीति के तहत, जिन खेतों से हाई-टेंशन बिजली की लाइन गुजरती है, उन जमीनों के लिए किसानों को मार्केट रेट का 30 प्रतिशत मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, टावर बेस एरिया, जहां खेती संभव नहीं होती, के लिए जमीन का मूल्य मार्केट रेट से दोगुना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा, “लंबे समय से किसान इस बात की शिकायत कर रहे थे कि टावर क्षेत्र में खेती नहीं हो सकती, लेकिन उन्हें कोई उचित मुआवजा भी नहीं मिलता। इस समस्या का समाधान अब हो गया है।” मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि मुआवजा तय करने के लिए टावर बेस एरिया से 1 मीटर की परिधि तक की जमीन की गणना की जाएगी। इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने के लिए एसडीएम की अध्यक्षता में एक यूजर कमेटी बनाई गई है, जो अपनी रिपोर्ट उपायुक्त को सौंपेगी। यदि किसी किसान को मुआवजे से संबंधित कोई समस्या हो, तो वह मंडल आयुक्त के पास अपील कर सकता है।
किसानों की मांग पर सरकार का फैसला : मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि झज्जर और अन्य जिलों के किसानों ने हाई-टेंशन तारों के संबंध में समस्याएं रखी थीं, जिनमें राजस्थान से आने वाली बड़ी बिजली लाइनों का मुद्दा भी शामिल था। “हमारी सरकार ने इन समस्याओं का शीघ्र समाधान किया है। किसानों को अब इन हाई-टेंशन लाइनों से होने वाले नुकसान के लिए उचित मुआवजा मिलेगा।” मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि मुआवजे की गणना के लिए कलेक्टर रेट नहीं, बल्कि मार्केट रेट को आधार बनाया गया है।