ललित शर्मा/हप्र, कैथल, 20 नवंबर
Haryana News: आंगनबाड़ी केंद्रों में नौनिहालों को पोषण देने के उद्देश्य से दिए जाने वाले आहार को लेकर गंभीर लापरवाही का मामला सामने आया है। कहने को बच्चों को ‘माइक्रोन्यूट्रिंट फोर्टिफाइड’ पंजीरी दी जा रही है, लेकिन पोषण के बजाय यह बीमारियाें का कारण बन सकती है। विभाग द्वारा बच्चों को एक्सपायर्ड डेट की पंजीरी बांटी जा रही है।
कैथल में महादेव काॅलोनी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में एक्सपायरी डेट पार कर चुकी पंजीरी दी गयी। इसके एक किलो वजनी पैकेट पर 26 जुलाई 2024 की मैन्यूफेक्चरिंग डेट है और इसकी अवधि तीन महीने तक की है। यह पंजीरी विभाग द्वारा सात दिन पूर्व बांटी गयी है।
अभिभावक मोहित, वीना आदि ने इसे लेकर रोष जताते हुए कहा कि यह लापरवाही बच्चों की सेहत के लिए घातक साबित हो सकती है।
महिला एवं बाल विकास विभाग हरियाणा द्वारा प्रति बच्चा 100 ग्राम पंजीरी दी जाती है। विभाग कभी-कभी एक किलो का पैकेट भी दे देता है। छह से 12 वर्ष के बच्चों को यह पंजीरी बांटी जाती है। चिकित्सकों का कहना है कि एक्सपायर्ड पंजीरी खाने से बच्चों में पेट से जुड़ी बीमारियां, फूड पॉइज़निंग और संक्रमण का खतरा हो सकता है।
वर्करों से नहीं मांगी जाती डिमांड : शकुंतला
आंगनबाड़ी वर्कर यूनियन की राज्य सचिव शकुंतला से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा वितरित की जाने वाली पंजीरी, पैकिंग डेट का आधा समय बीतने के बाद आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंचती है। इसके साथ ही वह इतनी ज्यादा मात्रा में भेज दी जाती है कि बांटते-बांटते एक्सपायरी डेट आ जाती है। विभाग आंगनबाड़ी वर्करों से डिमांड नहीं लेता कि उन्हें कितने राशन की जरूरत है, इसीलिए इस तरह की समस्याएं आती हैं। उन्होंने कहा कि यह वर्करों की नहीं, विभागीय लापरवाही है।
क्या कहती हैं सुपरवाइजर
इस बारे में जब आंगनबाड़ी विभाग की सुपरवाइजर मंजू से बात की गई तो उन्होंने कहा, ‘हमारे संज्ञान में अभी कोई ऐसा मामला नहीं आया है। अगर कहीं एक्सपायरी डेट की पंजीरी गई है, तो मामले की जांच करवाएंगे। बच्चों को पौष्टिक आहार देना विभाग की जिम्मेदारी है।’