अपने किसी भी अनुयायी को भगवान महावीर ने जोर जबरदस्ती करके अपना उपदेश नहीं थोपा। उनके मौन कर्म देखकर के तो अनुयायी हैरान ही रह जाते जब उनकी दिनचर्या को देखते। जितना समय सबको मिलता था भगवान महावीर उतने समय में बहुत कार्य कर लेते और एकदम सामान्य लगते थे। सुबह से शाम उनका सहज आचरण देखते तो सभी अनुयायी हैरत में पड़ जाते। एक सुबह प्रश्न काल के समय महावीर जी से पूछा गया कि गुरुवर जीवन में कैसे चलें, कैसे ठहरें, कैसे सोएं, कैसे खाएं और कैसे बोलें, जिससे पाप कर्म का बंधन न हो? इसके उत्तर में महावीर ने यह नहीं कहा कि तुम चलो मत, ठहरो मत, बैठो मत, सोओ मत, खाओ मत और बोलो मत। यह कहा कि तुम चलो, ठहरो, बैठो, सोओ, बोलो पर हर पल सतर्क रहो कि बस यह इतना जीवन ही जीना है जो बीत गया वो लौटेगा नहीं। तब तुम जीवन को अधिक सजगता और प्रसन्नता से महसूस कर सकोगे। प्रस्तुति : मुग्धा पांडे