सुशील कुमार फुल्ल
भारत में समय-समय पर अनेक ऐसी विभूतियों ने जन्म लिया है, जिन्होंने तन-मन-धन से अपने देश की स्वतंत्रता, सामाजिक उत्थान एवं सर्वजन कल्याण के लिए अपना योगदान दिया है। ऐसा ही एक गौरवपूर्ण नाम है कन्हैया लाल मिश्र का, जिनका जन्म तो एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ परन्तु जिन्होंने स्वाध्याय और अपनी इच्छा शक्ति के बल पर न केवल स्वतंत्रता संग्राम में अपितु देश भक्ित, देश-प्रेम की अलख जगाने में विशेष ख्याति अर्जित की।
उन्होंने पत्रकारिता में प्रखरता से अपने राष्ट्रीय विचारों को अभिव्यक्त किया और साहित्य के माध्यम से अपना संदेश लाखों-लाखों पाठकों तक पहुंचाया। बाल-साहित्य की रचना करके उन्होंने नैतिकता एवं श्रम की सफलता का जय घोष किया।
डॉ. अश्वनी शांडिल्य ने अपनी शोधपरक पुस्तक ‘राष्ट्रीय चेतना के उन्नायक : कन्हैया लाल मिश्र प्रभाकर’ में मिश्र के आदर्श जीवन को बहुत ही रोचक एवं व्यवस्थित ढंग से प्रस्तुत किया है। पुस्तक सात अध्यायों में विभक्त है, जो इस प्रकार हैं : कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर का जीवन एवं व्यक्तित्व, राष्ट्र एवं राष्ट्रीय चेतना सम्बन्धी अवधारणाएं, निबन्ध साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, संस्मरण और रेखा चित्र साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, रिपोर्ताज साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, लघु-कथा जीवनी व बाल-साहित्य में राष्ट्रीय चेतना। अभिप्रायः यह कि डाॅ. शांडिल्य ने मिश्र के समग्र साहित्य का वैज्ञानिक ढंग से आलोचनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया है, जो हर वर्ग के पाठकों के लिए उपयोगी, प्रेरणाप्रद है और विशेषकर आज की विकट परिस्थितियों में और भी अधिक प्रासंगिक हैं।
विद्वान लेखक ने मिश्र के साहित्य का आह्वान करते हुए उनके मौलिक योगदान को रेखांकित भी किया है यथा रिपोर्ताज लेखन में मिश्र का अग्रणी लेखक होना या कहें कि इस की शुरुआत मिश्र से ही हुई। स्वतंत्रता संग्राम में भी उनका अप्रतिम योगदान था और पत्रकारिता में भी। वह बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे, इस में कोई संदेह नहीं।
भूमिका में लेखक ने मिश्र के आदर्श जीवन को प्रेरणा-स्रोत बताते हुए लिखा है, ‘उनके समस्त साहित्य में निहित राष्ट्रीयता के प्रेरणा-पुंज रूपी कोष से मैंने इस पुस्तक में परोसने का प्रयास किया है ताकि हम भारत के समग्र नागरिक अपने क्षुद्र स्वार्थों से ऊपर उठकर राष्ट्र धर्म को प्रथम स्थान पर रखें।’
पुस्तक : राष्ट्रीय चेतना के उन्नायक : कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर लेखक : डॉ. अश्वनी शांडिल्य प्रकाशक : बिम्ब प्रतिबिम्ब पब्लिकेशंस, फगवाड़ा (पं.) पृष्ठ : 162 मूल्य : रु. 250.