सैली बलजीत
विमल चन्द्र पाण्डेय हिन्दी कहानी में संभावनाशील नये कथाकारों की पंक्ति में एक सशक्त कथाकार के रूप में तेज़ी से अपनी पहचान बनाने वाले हस्ताक्षर हैं। उनके सद्यः प्रकाशित कहानी संग्रह ‘मारणमंत्र’ की तमाम कहानियां आकृष्ट करती हैं और चौंकाती भी हैं। लगता है उनकी कहानियों में ठेठ बनारसी अक्कड़पन कहीं न कहीं विद्यमान है। बनारस के जन-जीवन को अनेक कोणों से बांचते हुए उनकी कहानियों ने नये क्षितिजों को तराशा है। ‘ज़िन्दा दिल’ कहानी पूरे बनारस के हाट बाजारों की आंतरिक छवि को उकेरती हुई महत्वपूर्ण कहानी है।
विमल चन्द्र पाण्डेय की अन्य कहानियों के पांव भी ठेठ स्थानीय माहौल पर टिके हैं… लेकिन आंखें चारों तरफ गिद्ध की तरह दृष्टिपात करती हुई प्रतीत होती हैं। इन कहानियों में कमाल का अक्कड़पन है, बेधड़क लड़कपन है… लेकिन इनकी कहानियों के पात्र लम्पट नहीं हैं। ‘शुभचिन्तक’ कहानी में कस्बई माहौल की अनेक विसंगतियां भव्यता से उद्घाटित हुई हैं।
‘मारण मंत्र’ संग्रह की प्रमुख कहानी है। ‘मारण मंत्र’ में गंवई लोग हैं… लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं की पूर्ति हेतु टोने-टोटकों के रहस्यमयी ‘मारण मंत्र’ है जिससे किसी को भी अनिष्ट कुभावनाएं निहित हैं। इसके अतिरिक्त विमल की ‘पर्स’, ‘केशव की दौलत और नीम वाला सर्प’ तथा ‘छूटना’ कहानियों मंे भी बनारस कहीं न कहीं किसी रूप में मौजूद है। इन कहानियों में सनसनाती हुई वर्ग चेतना है, धधकती हुई भावनाएं हैं और धधकती हुई गहराइयां भी हैं जो उनकी कहानियों को नये आयाम प्रदान करती हैं। विमल चन्द्र पाण्डेय की कहानियों में फटीचरों, मुफलिसों और गांजा-चरस पीने वाले नशेड़ियों का हुजूम जिस धरातल पर खड़ा है, उसको उलीचने का गज भर का कलेजा कथाकार के पास है। उनकी कहानियों में बिखरे और बिफरे मानव पुत्रों की दारुण व्यथा भी उत्कृष्टता के साथ उद्घाटित हुई है। उनके भीतर के कथाकार ने एक सपना देखा है कि निकृष्ट ज़िन्दगी ढोने वाले निकृष्ट लोगों को भी सम्मानजनक ज़िन्दगी जीने का हक है।
पुस्तक : मारणमंत्र लेखक : विमल चन्द्र पाण्डेय प्रकाशक : लोक भारती प्रकाशन, प्रयागराज (उ.प्र.) पृष्ठ : 144 मूल्य : रु. 199.