कुरुक्षेत्र, 8 जून (हप्र)
आर्य समाज के संस्थापक एवं महान समाज सुधारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ने नारी को उसकी आत्मिक शक्ति का परिचय कराते हुए समाज में सम्मान से जीने का अधिकार दिलाया।
ये शब्द गुरुकुल कुरुक्षेत्र में चल रहे प्रांतीय आर्य वीरांगना दल शिविर के दूसरे दिन 850 आर्य वीरांगनाओं को बौद्धिक प्रवचन करते हुए शिविर संयोजक संजीव आर्य ने कहे।
उन्होंने कहा कि एक समय वह था जब बालिकाओं को वेद-वाणी सुनने और पठन, पाठन को अधिकार नहीं था। यहां तक कि नारी शक्ति को शिक्षा से भी वंचित रखा जाता है, बाल-विवाह के बाद यदि कोई बालिका बचपन में विधवा हो जाती थी तो उसे जीवन भर विधवा रहकर ही जीवनयापन करना होता था, जो उन पर घोर अत्याचार था।
महर्षि दयानन्द सरस्वती ने नारी शक्ति को जागरूक किया और बाल-विवाह प्रथा को बंद करवाकर विधवा-विवाह, नारी शिक्षा को बढ़ावा देते हुए नारी शक्ति को जागरूक करके समाज में सम्मान से जीने के लिए प्रेरित किया। प्रातःकालीन सत्र में संजीव आर्य एवं मुख्य शिक्षिका सुमेधा आर्य के नेतृत्व में सभी आर्य वीरांगनाओं ने पीटी एवं सर्वांग सुन्दरम् व्यायाम, सूर्य नमस्कार, भूमि नमस्कार आदि का प्रशिक्षण प्राप्त किया।
गुरुकुल में आर्य वीरांगनाओं के साथ आयी लगभग 50 माताओं को सूर्यदेव आर्य ने प्राणायाम एवं सूक्ष्म व्यायाम का प्रशिक्षण दिया। तत्पश्चात् सभी आर्य वीरांगनाओं ने वैदिक मंत्रों के साथ हवन कुंड में आहूतियां डालकर यज्ञ का प्रशिक्षण लिया।
उल्लेखनीय है कि महामहिम राज्यपाल आचार्य देवव्रत के पावन सान्निध्य एवं आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा के प्रधान सेठ राधाकृष्ण आर्य के मार्गदर्शन में गुरुकुल कुरुक्षेत्र के पावन परिसर में प्रान्तीय आर्य वीरांगना दल शिविर लगा है जिसमें हरियाणा के कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, पानीपत और जींद जिले के 140 गांवों से 850 से अधिक बेटियां जीवन निर्माण एवं आत्म सुरक्षा का प्रशिक्षण लेने के साथ-साथ वैदिक संस्कृति और आर्य सिद्धान्तों को अपने जीवन में आत्मसात कर रही हैं।