चंडीगढ़/ यमुनानगर, 29 जून (ट्रिन्यू/हप्र)
हरियाणा सरकार द्वारा यमुनानगर में 800 मेगावाट का पावर थर्मल प्लांट लगाने का निर्णय लिया हुआ है। इसके लिए टेंडर भी जारी हो चुके हैं। इस बीच, केंद्र सरकार ने प्रदेश सरकार को यह प्लांट हरियाणा की बजाय झारखंड में लगाने की सलाह दी है। केंद्र ने ऐसा इसलिए किया है क्योंकि झारखंड में कोयला होता है और ऐसे में प्लांट चलाने में किसी तरह की परेशानी नहीं होगी। वहीं हरियाणा सरकार इस प्लांट को शिफ्ट करने के पक्ष में नहीं है।
बताते हैं कि पिछले दिनों नई दिल्ली में पावर प्लांट्स को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में एक बैठक हुई थी। इस बैठक में हरियाणा से बिजली कंपनियों के चेयरमैन पीके दास ने भाग लिया था। इसी बैठक में हरियाणा सरकार को कहा गया कि वह यमुनानगर में लगाए जाने वाले 800 मेगावाट के प्लांट को झारखंड के पिटहेड में शिफ्ट करे। केंद्र के इन निर्देशों के बाद हरियाणा सरकार ने नये सिरे से मंथन किया।
सरकार द्वारा प्लांट लगाने से पहले पूरी कार्ययोजना तैयार की गई थी। हरियाणा से बाहर प्लांट स्थापित करने के फायदे-नुकसान का पहले ही आकलन किया जा चुका है। प्रदेश सरकार का मानना है कि झारखंड में बिजली प्लांट लगाने से हरियाणा पर सालाना 180 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। अब हरियाणा ने पूरी रिपोर्ट केंद्र को भेजी है। साथ ही, प्लांट स्थापित करने के लिए अभी तक की जा चुकी कार्रवाई के बारे में भी केंद्र को अवगत करवाया है।
माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री भी इस मुद्दे पर केंद्र से बात करेंगे ताकि प्लांट यमुनानगर में ही स्थापित हो। हरियाणा द्वारा भेजी गई रिपोर्ट की अब केंद्र द्वारा स्टडी की जाएगी। इसके बाद इस बाबत कोई निर्णय लिया जाएगा। प्रदेश के बिजली मंत्री चौ़ रणजीत सिंह का कहना है कि सरकार ने यमुनानगर में प्लांट लगाने का फैसला इसलिए लिया था, क्योंकि पानीपत के प्लांट को बंद किया जा रहा है। यह एनसीआर एरिया में होने की वजह से कई बार इसे नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश के चलते बंद करना पड़ता है।
केंद्र को भेजी रिपोर्ट में यमुनानगर में प्लांट लगाने से होने वाले वित्तीय लाभ का भी प्रमुखता से उल्लेख किया है। इस प्लांट से लगभग 4500 करोड़ रुपये की बचत सरकार को होगी। इतना ही नहीं, अगर सरकार झारखंड में प्लांट लगाती है तो इससे बिजली की लागत भी बढ़ेगी। झारखंड से यहां तक ग्रिड के जरिये बिजली लाने में काफी पैसा खर्च होगा। प्रदेश में ही प्लांट होने का यह भी फायदा होगा कि बिजली की लागत भी कम आएगी और स्थानीय स्तर पर लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।
180 करोड़ से ज्यादा बचेंगे
केंद्र के सामने हरियाणा के द्वारा रखी जाने वाली प्रेजेंटेशन में दो प्रमुख बातों का उल्लेख किया गया है। इसमें यमुनानगर में प्लांट लगने पर सालाना 180 करोड़ रुपए से ज्यादा की बचत होने का अनुमान लगाया गया है। इसके साथ ही इससे संयंत्र और परियोजना के पूरे जीवनकाल में 4,500 करोड़ रुपए की बचत होगी। हरियाणा का मुख्य तर्क यह भी है कि पिटहेड पर स्थापित संयंत्र और राज्य में स्थापित संयंत्र में बिजली की पहुंच लागत के बीच पर्याप्त अंतर होगा। सरकार ने सेंट्रल पावर रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट के बाद ही इसका सुझाव दिया गया था। यमुनानगर में संयंत्र स्थापित करने पर जमीन और पानी की उपलब्धता अन्य जगहों से ज्यादा है। यमुनानगर थर्मल के पास लगभग 1200 एकड़ जमीन है।
”हमने केंद्र को अपना केस भेज दिया है। अब उसकी स्टडी करने के बाद केंद्र निर्णय करेगा। यमुनानगर में ही प्लांट लगाने के कई फायदे हैं। इसलिए सरकार चाहती है कि प्लांट यहीं पर लगे। हरियाणा की ओर से तमाम प्रक्रियाओं को पूरा किया जा चुका है। इस पर तो जल्द ही काम भी शुरू होने वाला है।”
-चौ. रणजीत सिंह, बिजली मंत्री