अमेरिका, चीन, जापान व यूरोपीय देशों में गहनों के तौर पर प्लेटिनम का चलन लगातार बढ़ रहा है। हमारे देश में भी युवा पीढ़ी प्लेटिनम ज्यूलरी की दीवानी है। उनमें सगाई जैसे मौकों पर बतौर गिफ्ट अंगूठियां यानी लव बैंड्स, ब्रैसलेट और चेंस देने का क्रेज है। यंग जेनरेशन के लिए सोना पुराना फैशन है। यूं भी दुनिया के मशहूर हीरे प्लेटिनम में ही जड़े हैं।
अमिताभ स.
बीते एक दशक से दुनिया भर में सोने से तेज प्लेटिनम के गहनों का जादू फैल रहा है। चीन में तो प्लेटिनम के गहनों का सबसे बड़ा बाज़ार है। जापान, अमेरिका, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, स्विट्ज़रलैंड वगैरह में भी प्लेटिनम की लोकप्रियता बढ़ी है। चांदी जैसे रंग-रूप और सोने से दो-तिहाई सस्ते प्लेटिनम के गहनों की दुनिया के रंग-ढंग।
दीवानगी का शुरुआती दौर
बीती सदी के आख़िरी सालों में मशहूर पॉप गायक माइकल जेक्सन अपनी बेटी के जन्म की खुशी में फूला नहीं समाया था। उसने अपने आस्ट्रेलियाई दौरे के दौरान, अपनी पत्नी के लिए एक नायाब तोहफा खरीदा। जानते हैं क्या? हीरे से जड़ी प्लेटिनम की एक खूबसूरत अंगूठी! तब कीमत होगी करीब 40 लाख रुपये। यह तब की मिसाल है, जब पच्चीस साल पहले प्लेटिनम के प्रति दीवानगी शुरुआती दौर में थी। तब से सारी दुनिया में सोने के बाद प्लेटिनम ज्यूलरी का जादू छाने लगा है। एलिज़ाबेथ टेलर से लेकर लेडी गागा तक इंटरनेशनल सेलिब्रिटीज प्लेटिनम ज्यूलरी बढ़- चढ़ कर पहनती रही हैं। अब तो बॉलीवुड की हीरोइनें और हीरो तक प्लेटिनम पहनने में पीछे नहीं हैं।
खपत के मामले में चीन आगे
‘प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल’ के आंकड़ों के मुताबिक प्लेटिनम की खपत के मामले में भारत तो पीछे है। फ़िलहाल चीन सबसे आगे है। दूसरे नम्बर पर अमेरिका और तीसरे पर जापान है। अकेले चीन में 2021 में 67 टन से ज्यादा प्लेटिनम की खपत हुई। फिर उत्तरी अमेरिका में करीब 38 टन और जापान में साढ़े 22 टन। इस दौरान, यूरोपीय देशों की साझा प्लेटिनम खपत करीब 54 टन रही। प्लेटिनम और सोने की छड़ें बनाने वाली कंपनी ‘जानसन मैथेस’ की मानें, तो प्लेटिनम खपत में बीस साल पहले तक जापान नंबर वन था। लेकिन ‘प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल’ ने तब चीन में प्लेटिनम की खपत बढ़ाने के उद्देश्य से देशव्यापी अभियान चलाया। टी.वी और पत्र-पत्रिकाओं में लुभावनी विज्ञापनबाजी की गई। अभियान ने रंग जमाया। ज्यूलरी शोरूमों की चमचमाती शोविंडो में सोने की बजाय प्लेटिनम के गहने जगमगाने लगे। हौले- हौले ही सही, लोगों के दिलों में प्लेटिनम राज करने लगा। उल्लेखनीय है कि प्लेटिनम की मांग और खपत बढ़ाने के उद्देश्य से ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ की तर्ज पर अंतर्राष्ट्रीय संगठन ‘प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल’ चीन से पहले अमेरिका, इटली और जर्मनी में भी ऐसे अभियान चला चुका है।
प्लेटिनम के लव बैंड्स और अंगूठियां
अपने देश में प्लेटिनम के लव बैंड्स यानी सगाई अंगूठियों का क्रेज ज़्यादा है। सगाई की एक जैसी कपल बैंड्स यानी छल्ले ख़ूब पहने-पहनाए जा रहे हैं। देखने में सॉलिड, गठीले और बारीक लगते हैं, और सादे और उज्ज्वल भी। किशोरियों और युवतियों को पहले प्लेटिनम और 18 कैरेट सोने की मिली- जुली अंगूठियां जंचती थीं। लेकिन हालिया सालों में, प्लेटिनम को मर्दों के सॉलिड लुक के तौर पर पेश किया जाने लगा है। पुरुषों के पतले- ठोस छल्ले, चैन्स और ब्रेसलेट खूब बिक रहे हैं। भारत में शादी वाले युगलों का प्लेटिनम रुझान है। हांगकांग के प्लेटिनम चहेतों का आयु वर्ग 18 साल है। ‘जानसन मैथेस’ की राय है कि नौजवान पीढ़ी प्लेटिनम की दीवानी है। यंग जेनरेशन के पास ज्यादा पैसा है, और सोच नई है। इसलिए चाहती है कि कुछ नया हो, खरा हो, शानदार हो और बेशक महंगा भी हो। उनके लिए सोना पुराना फैशन है। इसलिए वाइट गोल्ड यानी सफेद सोना भी ट्रेंड में आया। वाइट गोल्ड की ज्यूलरी आज भी चल रही है, क्योंकि ज़्यादातर खरीदार समझते हैं कि प्लेटिनम सोने से महंगा है। जबकि है उलट- आजकल 10 ग्राम प्लेटिनम का भाव करीब 40,000 रुपये का है। जबकि सोने का करीब 60,000 रुपये प्रति 10 ग्राम।
जापान में अनूठी उमंग
जापान में प्लेटिनम के प्रति अनूठी उमंग है। ‘प्लेटिनम गिल्ड इंटनेशनल’ के अनुसार जापान में प्लेटिनम की टर्नओवर सोने से कहीं अधिक है। खरा प्लेटिनम आज जापानी सर्राफा बाजार में खासी अहम भूमिका निभा रहा है। जापान में ‘माई फस्ट प्लेटिनम ‘ (मेरा पहला प्लेटिनम) और ‘वीयर एवरीडे’ (रोज पहनिए) थीम के चलते प्लेटिनम के शौकीनों में बेतहाशा वृद्धि हुई है। किशोरियों और युवतियों ने चांदी से प्लेटिनम की ओर रुख किया है। किशोरियां पहले तो चांदी के गहने पहनती हैं, मगर 20 साल की आयु को छूते ही प्लेटिनम के गहनों को अपनाने लगती हैं। बड़ी संख्या में जापानी लड़कियां प्लेटिनम जड़ित हीरे की अंगूठी सगाई के वक्त पहनती हैं।
यूरोपीय देशों में भी चलन
यूरोपीय देशों में भी प्लेटिनम का उफान जारी है। इटली में आयात के लिए, इंग्लैंड में घरेलू सर्राफा बाजार के लिए, जर्मनी में भी घरेलू सर्राफा बाजार के लिए और स्विट्ज़रलैंड में घड़ियों के लिए प्लेटिनम की खपत बढ़ रही है। स्विट्ज़रलैंड लगातार कई सालों से प्लेटिनम की 10 हजार से ज़्यादा घड़ियां सालाना बना रहा है। स्पेन में भी प्लेटिनम की करिश्माई चमक छाई है। भारत में ब्रांडेड ज्यूलरी शोरूमों पर भी बमुश्किल एक काउंटर ही प्लेटिनम ज्यूलरी का मिलता है। उधर जर्मनी के छोटे- छोटे ज्यूलरी शोरूमों में भी प्लेटिनम गहने ठसाठस भरे हैं। इंग्लैंड में पहले 8 कैरेट सोने के गहनों का चलन था, जो 14 कैरेट हुआ, और फिर 18 कैरेट तक पहुंच कर, और अब गहनों की दुनिया पर प्लेटिनम ने कब्जा कर लिया। आने वाले सालों में इंग्लैंड में प्लेटिनम की खपत बेतहाशा बढ़ने की उम्मीद है। इंग्लैंड के हॉलमार्किंग यूनिटों में, शुद्धता जांच और मुहर के लिए आए प्लेटिनम के गहनों का वजन दुगुना हुआ है। प्लेटिनम के लिए ख़ुशख़बरी है कि सऊदी अरब और दक्षिण अफ्रीका तक में प्लेटिनम के गहने दिलों की गहराई को छूने लगे हैं।
गहनों के पांच विविध थीम
प्लेटिनम की करिश्माई चमक को दुनिया के कोने- कोने में फैलाने के लिए रूस से ‘प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल’ और जापानी जूलर्स ने एक अभियान चलाया- ‘द प्लेटिनम पार्टनर्स’। इसके तहत प्लेटिनम के गहनों को पांच विविध थीमों में बांटा गया- पौसी, माई फस्ट प्लेटिनम, प्लेटिनम फॉर सेलिब्रेशन एंड ग्रेटीट्यूड, न्यू बेसिक और माई सेल्फ़ ज्यूलरी । ‘पौसी’ प्लेटिनम ज्यूलरी पर संदेश अंकित रहता है, इसलिए बतौर तोहफा आदर्श है और नौजवानों को पहली पसंद भी। ‘पौसी’ रेंज में सबसे छोटी अंगुली के लिए खास अंगूठी, ब्रेसलेट और कंगन लोकप्रिय गहने हैं। फिर आती है ‘माई फस्ट प्लेटिनम’ रेंज, जिसे माता- पिता अपनी युवा- किशोर बेटी को तोहफे के तौर पर देते हैं। सिक्केनुमा पेंडेंट और नेक्लेस बेटी और माता- पिता के रिश्तों को मजबूत करते हैं। ‘प्लेटिनम फॉर सेलिब्रेशन एंड ग्रेटीट्यूड’ पति या दूसरे पारिवारिक सदस्यों द्वारा नवजात शिशु की मां को भेंट किए जाने की परंपरा है। 95 खरे प्लेटिनम से बने टॉप्स और पेंडेंट इस कदर सादे और नाज़ुक बनाए जाते हैं कि मां की गोद में खेलते नवजात शिशु को चुभें नहीं। यही नहीं, इसी रेंज के तहत बच्चों के गिलास, दूध की बोतल, चम्मच वगैरह भी बाजार में उतारे गए हैं, बिल्कुल उसी प्रकार जैसे भारत में चांदी का चलन है। वहीं ‘न्यू बेसिक’ हैं खुद खरीदने वाले प्लेटिनम गहने। करीब 18 से 22 साल, 23 से 28 साल, मध्य 30 साल और 40 साल से ऊपर के आयु वर्ग की महिलाओं को पसंद- नापसंद और जीवन शैली के अनुरूप ‘न्यू बेसिक’ रेंज उतरी है। इसी प्रकार, ‘माई सेल्फ’ ज्यूलरी में नारी मन के दर्द, विश्वास और कुदरती सैकड़ों डिजाइन हाज़िर हैं।
प्लेटिनम में जड़े मशहूर हीरे
आज अपने देश में प्लेटिनम की बिक्री करीब 20 टन सालाना है। दसेक साल पहले 2003 में इसकी खपत केवल 6 टन थी। 2006-07 तक खपत बढ़ते- बढ़ाते 9 टन हो गई, 2008- 09 तक 10 टन और 2010 तक 12 टन हो गई थी। पहले प्लेटिनम केवल रईसों की पसंद था, लेकिन आज कई ज्यूलरी ब्रांड्स ने हल्की प्लेटिनम ज्यूलरी पेश की है। जाहिर है कि आज सोने की सुनहरी नहीं, बल्कि प्लेटिनम की चमकीली जादुई दुनिया लोकप्रियता की तमाम बुलन्दियों को छूने को बेकरार है। यूं भी, सदियों से कोहिनूर और होप सहित दुनिया के मशहूर हीरे सोने में नहीं, बल्कि प्लेटिनम में जड़े हैं। यानी दुनिया के बेशकीमती हीरों की हिफाजत शुरू से ही प्लेटिनम कर रहा है।
जादुई दमक बनाम सुनहरी दुनिया
सच ही है कि प्लेटिनम तमाम धातुओं का सरताज है। पहले-पहले करीब 3000 साल पहले मिस्र में प्लेटिनम उभर कर सामने आया। फिर गहनों के तौर पर प्लेटिनम का इस्तेमाल साल 1780 में फ्रांस के सम्राट लुइस 16 के जमाने से हुआ। 18वीं सदी से धीरे- धीरे प्लेटिनम के गहने दुनिया के कोने-कोने में फैलने लगे। विश्वविख्यात ज्यूलर ब्रैंड काटियर, टिफनी और फैबर्ज ने प्लेटिनम के गहनों को लोकप्रियता की बुलंदियों तक पहुंचाने में अहम रोल निभाया है। मॉडर्न स्टाइल में प्लेटिनम को फैशन बाजार में पेश करने का श्रेय काटियर को ही जाता है। सबसे पहले 1995 में ‘पेरिस कलेक्शन’ के रूप में प्लेटिनम के गहने बनाने शुरू किए। खैर, आने वाले साल बताएंगे कि अपने देश में भी प्लेटिनम की चमकीली जादुई दमक सोने की सुनहरी दुनिया को कितनी रफ़्तार से भेद पाएगी?
ऐसा है प्लेटिनम
प्लेटिनम चांदी की तरह साफ, चमकीली और उज्जवल धातु है। इसे ‘लिटिल सिल्वर’ या ‘पी.टी.’ भी कहते हैं। आमतौर पर 95 परसेंट शुद्धता के प्लेटिनम से गहने बनाए जाते हैं। सोने-चांदी की तरह हॉलमार्क के जरिये इसकी शुद्धता की गारंटी की मोहर लगाई जाती है। इनदिनों भारत में इसका भाव करीब 36,500 रुपये प्रति 10 ग्राम है, जबकि 24 कैरेट सोने का भाव 55,000 रुपये प्रति दस ग्राम के आसपास तैर रहा है। सोने और चांदी के बाद प्लेटिनम मुख्य रूप से गहनों में इस्तेमाल किया जाता है।
प्लेटिनम अत्यंत दुर्लभ धातु है। दक्षिण अफ्रीका और रूस इसके दो सबसे बड़े उत्पादक देश हैं। प्लेटिनम की दक्षिण अफ्रीकी खानों की खोज का श्रेय जर्मनी के भूवैज्ञानिक हेंस मेरेनस्काई को जाता है। सबसे बड़ी खान है दक्षिण अफ्रीका के ट्रांसगल में। रस्टमबर्ग प्लेटिनम माइन ग्रुप की खान में सालाना 28 टन प्लेटिनम का उत्पादन होता है।
हालांकि प्लेटिनम के मुकाबले 15 गुना ज्यादा सोना हर साल खानों से निकाला जाता है। खानों में प्लेटिनम इरीडियम, पेलेडियन, रूथेनियम, रोहडीयम और आसमीनियम धातुओं के समूह में पाया जाता है। खानों में खुदाई करके 10 टन मिट्टी निकालने के बाद, सफाई -धुलाई की जटिल लंबी रासायनिक प्रक्रिया से गुजरने के बाद कहीं जा कर एक औंस (यानी 31.1 ग्राम) प्लेटिनम हाथ लगता है। बाद में, सोने की भांति प्लेटिनम की छड़ें और बिस्कुट ढलते हैं। प्लेटिनम के बिस्कुट ढालने वाली दो अग्रणी कंपनियां हैं- इंग्लैंड की ‘जानसन ‘मैथेस’ और ‘इग्लहार्ड’ |
उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक आजकल दुनिया भर में सोने की औसत सालाना खपत 3300 टन है, जबकि प्लेटिनम की केवल 150 टन। ‘वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल’ का अंदाजा है कि गहनों के रूप में प्लेटिनम के मुकाबले सोने की खपत 140 गुना अधिक है। प्लेटिनम अपेक्षाकृत सख्त धातु है। सोने की भांति प्लेटिनम की शुद्धता 1000 भाग है। 950 भाग प्लेटिनम में 50 भाग इरीडियम धातु का मिश्रण करके गहनों में ढाला जाता है। उधर 18 कैरेट सोने में 750 भाग सोना और 250 भाग तांबा- चांदी का मिश्रण किया जाता है। प्लेटिनम ज्वेलरी पर रोहडियम प्लेटिंग के तौर पर काम आता है। कहते हैं कि 95 फीसदी खरे प्लेटिनम के गहने त्वचा की एलर्जी नहीं करते। इसीलिए प्लेटिनम से ही बने हृदय वॉल्व दिल की धमनियों के आपरेशन में प्रयोग किए जाते हैं।
प्लेटिनम का इस्तेमाल हीरों जड़ित गहनों में ज्यादा होता है, ताकि हीरों की पकड़ मजबूत रहे। सोने के विपरीत प्लेटिनम रोजाना पहनने के बावजूद घिसता नहीं है, आंच में सिकुड़ता या फैलता भी नहीं। और तो और, एक ग्राम प्लेटिनम की दो किलोमीटर लंबी तार खींची जा सकती है। सोने के मुकाबले प्लेटिनम का वजन 60 फीसदी भारी है। सख्त होने की वजह से ढलाई और आरी की कारीगरी के लिए बेहतर है।
वहीं साल 1960 में प्लेटिनम पहली बार कैंसर के इलाज में शक्तिशाली प्रतिरोधक के रूप में पहचाना गया। ‘प्लेटिना’ एक होम्योपैथी चिकित्सा भी है, जिसके जरिये शरीर चुस्त- दुरुस्त होता है। साथ ही तनाव भी दूर होता है। है न करिश्माई!
शादी में प्लेटिनम के गहनों का क्रेज
सोने और चांदी की भांति अमेरिकी मिंट तो प्लेटिनम के सिक्के भी जारी करता है। अमेरिका में प्लेटिनम के दुल्हन के गहने खूब फैशन में हैं। सगाई अंगूठी तो प्लेटिनम की ही चलती है। प्लेटिनम जंजीरें भी खासी लोकप्रिय हैं। सबसे ज्यादा खपत अंगूठियों की बढ़ी- सगाई अंगूठी 69 फीसदी, विवाह अंगूठी 60 फीसदी और सालगिरह अंगूठी 57 फीसदी। यही नहीं, प्लेटिनम के नेक्लसों की मांग 37 फीसदी, ब्रेसलेट और कांटों की मांग 34 फीसदी और नए डिजाइनदार ब्रोजों – पिनों की मांग 14 फीसदी बढ़ी है। चांदी- सोने के गहने तो सदियों से हिंदुस्तानी दिलों में रचे-बसे हैं। लेकिन फिलहाल नई जेनरेशन ही प्लेटिनम ज्यूलरी की दीवानी है। दूसरे मुल्कों में प्लेटिनम की चाहत कई दशकों से है। ‘प्लेटिनम गिल्ड इंटरनेशनल’ का मानना है कि अमेरिका की साढ़े पांच करोड़ आबादी प्लेटिनम के गहनों को बेहतरीन धातु के रूप में भली- भांति जानती है। करीब 35 साल से ऊपर की आयु के लोग ज़्यादा परिचित हैं, लेकिन महज 4.5 फीसदी यानी 25 लाख लोगों ने बीते 12 महीनों में प्लेटिनम के गहनों को वाकई खरीदा। ज्यादातर खरीदारी 21 से 44 साल के मर्दों ने की। दुल्हनों की गहनों की पसंद पर किए गए अमेरिकी सर्वे की रिपोर्ट से पता चला कि 30 फीसदी दुल्हनों ने प्लेटिनम ज्यूलरी की चाहत जाहिर की। करीब आधी दुल्हनों ने प्लेटिनम की सगाई अंगूठी पहनी – 82 फीसदी चाहत बढ़ी। प्लेटिनम और सोने की मिली-जुली सगाई अंगूठियों की खरीदारी जरूर घटी। और हां, 52 फीसदी अमेरिकी दुल्हनों ने, अपने पति के लिए भी प्लेटिनम के बैंड यानी छल्ले ही खरीदे।
लेखक स्वतंत्र पत्रकार और स्तंभकार हैं।