मदन गुप्ता सपाटू
मान्यता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु श्रीरसागर में 4 माह शयन के बाद जागते हैं। इसी कारण इसे देवउठनी व हरिप्रबोधिनी एकादशी कहा जाता है और इसके साथ ही शुभ कार्य शुरू होते हैं। भगवान विष्णु को समर्पित इस एकादशी पर तुलसी विवाह का भी आयोजन किया जाता है। श्रद्धालु इस दिन सुख और समृद्ध जीवन के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना करते हैं, दिन भर उपवास रखते हैं।
इस दिन भगवान विष्णु से जागने का आह्वान किया जाता है। भगवान विष्णु के पूजन के लिए उन्हें धूप, दीप, फूल, फल और अर्घ्य अर्पित किया जाता है। मंत्रों का जाप किया जाता है। इस दिन व्रत रखने के लिए प्रातःकाल उठकर संकल्प लेना चाहिए। घर की सफाई के बाद आंगन में भगवान विष्णु के चरणों की आकृति बनानी चाहिए। इस रात घर के बाहर और पूजा स्थल पर दीये जलाने चाहिए। रात के समय परिवार के सभी सदस्यों को भगवान विष्णु समेत सभी देवी-देवताओं का पूजन करना चाहिए। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु का केसर मिश्रित दूध से अभिषेक भी किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से विष्णु जी प्रसन्न होते हैं और मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। दक्षिणावर्ती शंख में जल भरकर भगवान श्री हरि विष्णु का अभिषेक करने से भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी दोनों प्रसन्न होते हैं और जीवन में धन वृद्धि होती हैै। इस दिन गायत्री मंत्र का जाप जरूर करना चाहिये, माना जाता है इससे स्वास्थ्य अच्छा होता है।
- धन वृद्धि के लिए एकादशी के दिन विष्णु मंदिर में सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाएं। भोग में तुलसी के पत्ते डालें।
- कार्यों में बाधा दूर करने व सुखों की प्राप्ति के लिए विष्णु मंदिर में नारियल व थोड़े बादाम चढ़ायें।
- पीले रंग के कपड़े, पीले फल व पीला अनाज पहले भगवान विष्णु को अर्पण करें, इसके बाद ये वस्तुएं गरीबों व जरूरतमंदों में दान कर दें। ऐसा करने से भगवान विष्णु की कृपा बनी रहेगी।
- शाम के समय तुलसी के पौधे के सामने गाय के घी का दीपक लगाएं और ॐ वासुदेवाय नम: मंत्र का जप करते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। मान्यता है यह उपाय करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार का संकट नहीं आता।
- पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और शाम को दीपक जलाएं। शास्त्रों में बताया गया है कि पीपल में भी भगवान विष्णु का वास होता है। माना जाता है कि यह उपाय करने से कर्ज से मुक्ति मिलती है।
19 काे चंद्रग्रहण, सूतक नहीं होगा
साल का अंतिम चंद्रग्रहण 19 नवंबर को लगेगा। भारत में यह केवल असम व अरुणाचल प्रदेश में ही बहुत कम समय दिखाई देगा। शेष भारत में यह ग्रहण दिखाई नहीं देगा, ऐसे में सूतक भी नहीं माना जाएगा। यह सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण है। इसकी अवधि 3 घंटे 28 मिनट रहेगी। चंद्रग्रहण को ज्योतिष शास्त्र में प्रमुख घटना के तौर पर देखा जाता है। मान्यता है कि जब भी ग्रहण की स्थिति बनती है तो इसका देश-दुनिया पर तो प्रभाव पड़ता है ही, साथ ही सभी राशियों पर भी असर देखा जाता है। यह ग्रहण वृषभ राशि और कृतिका नक्षत्र में लगेगा। वृषभ राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है, जबकि कृतिका नक्षत्र सूर्य देव का है। ग्रहण के दौरान सूर्य देव वृश्चिक राशि में रहेंगे और शुक्र धनु राशि मेंे। यह चंद्रग्रहण तुला, कुंभ और मीन राशि वालों के लिए शुभ साबित होगा। इन राशि के लोगों को कार्यों में सफलता हासिल होगी। तरक्की मिलने के संकेत हैं। वृषभ राशि वालों को स्वास्थ्य से जुड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है। सिंह, वृश्चिक और मेष राशि वालों को भी स्वास्थ्य को लेकर सतर्क रहना होगा, आर्थिक हानि की भी
आशंका है।