एक बार कोठार में रखे सारे अनाज कीड़े खा गये। किसान दुख से भर उठा और सारा का सारा कीड़ा लगा अनाज एक सूप की मदद से उठाकर खेत के एक कोने में फेंक दिया। अब काफी परेशानी थी। सारा अनाज खराब हो गया था। किसान मजदूरी करके रोटी कमा रहा था, मगर अनाज का नुकसान उसे अवसाद में ले गया। एक दिन किसान अपने बेटे के साथ खेत पर टहल रहा था कि वहां पड़े हुए अनाज को देखकर वह सिसक उठा। बेटा उसे खींचकर और पास ले गया। बोला देखो-देखो पिताजी, ये सड़ने को तैयार अनाज भी जगह-जगह पर अंकुरित होने को तैयार है और आप हार मान चुके हैं। किसान ने पास जाकर उस अंकुरित अनाज पर हाथ फेरने शुरू किये। एक पल में वह समझ गया कि जीवन हारने के लिए बिलकुल नहीं होता है।
प्रस्तुति : मुग्धा पांडे