विद्वता के धनी एक राजा ने अपने दरबारियों की बुद्धि को परखने के लिए उनसे एक सवाल पूछा, ‘सबसे ज्यादा तेज कौन काटता है?’ तीन सभासदों ने उत्तर दिया। एक ने कहा, ‘मधुमक्खी।’ दूसरे का जवाब था, ‘सांप।’ तीसरे ने कहा, ‘तलवार की चार सबसे तेज काटती है।’ राजा उनके उत्तर से संतुष्ट नहीं हुआ। तदुपरांत राजा ने प्रधानमंत्री से कहा, ‘महात्मय! इस बारे में आपका अनुभव क्या कहता है?’ महात्मय कुछ देर चुप रहा फिर विचारकर बोला, ‘राजन्! दो व्यक्ति पैनी छुरी से तराशते हैं। एक निंदक, दूसरा चाटुकार।’ राजा ने पूछा, ‘वह क्योंकर?’ महात्मय ने जवाब दिया, ‘निंदक में ईर्ष्या का तीखा विष भरा होता है। वह पीछे से इस तरह काटता है कि पता नहीं चलता जबकि चाटुकार मीठी बोली के ज़हर से सना होता है। वह बड़ाई के झूठे पुल बांधकर सबके सामने चांटे पर चांटा जड़ता है और व्यक्ति को कहीं का नहीं छोड़ता। इसीलिए व्यक्ति की पहली एहतियात होनी चाहिए चाटुकार से बचना और निंदक से दूर रहना दूसरी।’
प्रस्तुति : राजकिशन नैन