कमलेश भट्ट
इस बार दिवाली मनाने के दिवस को लेकर ज्योतिषियों के दो मत हैं। ऐसे में कुछ राज्यों में सरकार ने भी दिवाली की दो छुट्टियां 31 अक्तूबर और एक नवंबर को घोषित की हैं। ज्योतिष के कुछ विद्वान 31 अक्तूबर को, जबकि अन्य एक नवंबर को दिवाली के लिए शुभ दिन मान रहे हैं। दरअसल, भ्रम की यह स्थिति इसलिए बन रही है क्योंकि अमावस्या तिथि दोनों दिन पड़ रही है। इन दोनों दिन लक्ष्मी पूजन के लिए शुभ मुहूर्त भी बन रहा है। दिवाली का त्योहार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। इस बार अमावस्या तिथि 31 अक्तूबर को दोपहर बाद 3 बजकर 53 मिनट (मार्तण्य पंचांग के अनुसार) पर शुरू हो रही है और इसका समाप्ति काल अगले दिन एक नवंबर को सायं 6 बजकर 17 मिनट पर है। यानी अंग्रेजी कैलेंडर के हिसाब से अमावस्या तिथि दो दिन है। डेरा सिद्ध शिव मंदिर बुड़ैल के पंडित ज्योतिर्विद विजय प्रकाश शास्त्री के अनुसार, दोनों दिन अमावस्या पूर्ण रूप से प्रदोष व्यापिनी नहीं है। ऐसे में निर्णय सिंधु, धर्मसिंधु, पुरुषार्थ चिंतामणि आदि ग्रंथों के अनुसार दूसरे दिन यानी एक नवंबर को दिवाली मनाना उचित रहेगा, क्योंकि इस दिन अमावस्या तिथि में ही सूर्योदय हो रहा है और इसी तिथि में सूर्यास्त भी हो रहा है। चंडीगढ़ में सूर्यास्त का समय सायं 5 बजकर 30 मिनट है, जबकि अमावस्या तिथि सायं 6 बजकर 17 मिनट तक है।
श्रीजींद बाबा संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य आचार्य अरुण प्रकाश सेमवाल का कहना है कि धर्मसिंधु के अनुसार यदि दोनों दिन प्रदोष व्यापिनी अमावस्या हो तो लक्ष्मी पूजन के लिए दूसरे दिन पर विचार करना चाहिए। वहीं, कुरुक्षेत्र के पंडित रामराज कौशिक के अनुसार व्रत या त्योहार में उदया तिथि देखी जाती है, लेकिन दिवाली के त्योहार में प्रदोष काल पर विचार किया जाता है। दिवाली के दिन सूर्यास्त के बाद दीपक जलाने का विधान है। एक नवंबर को अमावस्या तिथि शाम के समय ही समाप्त हो जाएगी, इसलिए दिवाली 31 अक्तूबर को ही मनानी उचित रहेगी। विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता शरद शर्मा के अनुसार दिवाली की सही तारीख 31 अक्तूबर है।