कानपुर में श्रमिकों ने राममनोहर लोहिया का अभिनंदन करके पार्टी कार्यों के लिए इकट्ठे किए गए धन की थैली उन्हें भेंट की। दिनभर के कार्यक्रम के बाद शाम की ट्रेन से लोहिया अन्यत्र जाने के लिए रवाना हुए। उनके साथ समाजवादी सांसद जगदीश अवस्थी भी थे। किसी स्टेशन पर गाड़ी रुकी तो लोहिया जी बोले, ‘अवस्थी, मेरा गला कुछ खराब है। एक पिपरमेंट वाला पान ले आओ। शायद कुछ आराम मिल जाए?’ अवस्थी ने जेब में हाथ डाला,पर जेब में खुले पैसे नहीं थे। उन्होंने लोहिया से कहा कि खुले पैसे नहीं हैं तो वे पढ़ने में तल्लीन हो गए। तभी अवस्थी उतरे और दो पान खरीद लाए। एक पान उन्होंने खुद खाया और दूसरा लोहिया की ओर बढ़ाया तो लोहिया जी ने पूछ लिया, ‘खुले पैसे नहीं थे तो पान कहां से ले आए?’ अवस्थी जी बोले, ‘बात सिर्फ चार आने की ही तो थी, मैंने थैली में से ले लिए।’ सुनते ही लोहिया जी का चेहरा तमतमा उठा और वे बोले, ‘श्रमिकों ने एक-एक पैसा, एक-एक रुपया इकट्ठा करके पार्टी के लिए थैली दी है और हम इसमें से पैसे लेकर पान खाएं?’ और तुरंत उन्होंने अपनी बंडी उतारी और जेब से पांच रुपये का नोट निकाल के थैली में डलवाया। तब जाकर पान खाया। प्रस्तुति : योगेन्द्र नाथ शर्मा ‘अरुण’