हिमालय की गोद में बसी देवभूमि हिमाचल गर्मियों में जहां दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ के पर्यटकों को खुशनुमा मौसम का अहसास दिलाती है, वहीं दूसरी ओर यहां के अनेक देवस्थलों के दर्शन भी करवाती है। ऐसा ही एक देवस्थल है रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर। यह कांगड़ा जिले में ज्वालामुखी के पास स्थित है। ज्वालामुखी के मां ज्वालाजी मंदिर के बगल से ही इसके लिए रास्ता जाता है। ज्वालाजी से इसकी दूरी करीब 2 किलोमीटर है। पूरा रास्ता ऊबड़-खाबड़ और चढ़ाई वाला है।
कालीधार पर्वतों पर स्थित रघुनाथेश्वर टेढ़ा मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है। कहा जाता है कि भगवान श्रीराम माता सीता सहित यहां पर गुफा में कुछ समय के लिए रुके थे। इस मंदिर में पांडवों ने वनवास का कुछ समय व्यतीत किया था। यहां 1905 में आये भूकंप से कांगड़ा का किला तो बिलकुल खंडहर में तब्दील हो गया था और यह मंदिर एक तरफ झुककर टेढ़ा हो गया। तभी से इसका नाम टेढ़ा मंदिर है।
यहां भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण, हनुमानजी की अष्टधातु की प्राचीन प्रतिमाएं थीं, जो बार-बार चोरी हो जाने के बाद जिला कोषागार धर्मशाला में हिफाजत से रखी गई हैं। कुछ समय पहले तक यह मंदिर साधु समाज के अधीन था। बाबा लोग ही यहां का संचालन करते थे। कुछ समय से मंदिर न्यास ज्वालामुखी इसकी देखरेख का जिम्मा संभाल रहा है। मंदिर न्यास की बजट बैठक में इस मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए, यहां पर सौंदर्यीकरण करने और अन्य कार्यों व सुविधाआें के लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है। बजट आने से इस मंदिर को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है, जिसके लिए सरकार व प्रशासन प्रयासरत है। क्षेत्र को रज्जू मार्ग से जोड़ा जा रहा है। यह रज्जू मार्ग बस अड्डे के पास निर्माणाधीन मल्टीस्टोरी कार पार्किंग के टॉप फ्लोर से बनेगा, जो अर्जुन नागा, तारा देवी मंदिर व टेढ़ा मंदिर को जोड़ेगा।
ज्वालाजी तक पहुंचने के लिए कांगड़ा, शिमला, दिल्ली, चंडीगढ़, जालंधर व पठानकोट से बसें चलती हैं। यहां निकटतम रेलवे स्टेशन ऊना है। हवाई अड्डा गग्गल जिला कांगड़ा में है। अपनी कार या टैक्सी से भी पहुंचा जा सकता है।