विवेक शर्मा
होहिं सगुन सुभ बिबिधि बिधि बाजहिं गगन निसान।
पुर नर नारि सनाथ करि भवन चले भगवान।
अर्थात अनेक प्रकार के शुभ शगुन हो रहे हैं, आकाश में नगाड़े बज रहे हैं। नगर के पुरुषों और स्त्रियों को सनाथ (दर्शन द्वारा कृतार्थ) करके भगवान श्री रामचंद्रजी महल की ओर चले। रामचरित मानस में यह वर्णन उस समय का है जब भगवान श्रीराम का राज्याभिषेक होता है। प्रसंगवश सभी को विदित है कि इस वक्त अयोध्या में भगवान श्रीराम के भव्य मंदिर निर्माण का कार्य चल रहा है। मार्च, 2020 को रामलला को अस्थायी मंदिर में विराजमान किया गया था और भव्य मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया गया था। उम्मीद जताई जा रही है कि दिसंबर 2023 तक गर्भगृह में श्रीराम विराजेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि नींव के लिए भूमि को मजबूत करने का काम सितंबर में पूरा हो गया है। गर्भगृह के ऊपर मंदिर का निर्माण कार्य होगा। मंदिर निर्माण के लिए 20 फीट का प्लिंथ बनाया जा रहा है, जिसके ऊपर मंदिर के खंबे लगाए जाएंगे। 15 जनवरी 2022 के बाद मंदिर के दूसरे चरण का काम शुरू होगा। मंदिर के पूरे निर्माण में कुल 12 लाख घनफुट पत्थर लगेंगे। करीब 45 हजार घनफुट पत्थर पहले से तराशे जा चुके हैं। मंदिर निर्माण में मिर्जापुर और राजस्थान के पत्थरों के अलावा संगमरमर और ग्रेनाइट का भी प्रयोग होगा। नदी के प्रवाह से बचाने के लिए मंदिर के किनारे मजबूत दीवार का भी निर्माण किया जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा ने बताया कि पत्थरों की तराशी काम चल रहा है। उन्होंने बताया कि मिट्टी रेतली होने के कारण निर्माण में दिक्कतें आई हैं। इसके लिए आईआईटी दिल्ली, चेन्नई और गुवाहटी के इंजीनियरों ने 50 फुट नीचे खुदाई करके चरणबद्ध तरीके से भराई की है और इसकी 48 परतें तैयार की हैं। इंजीनियरों द्वारा विशेष प्रकार के फिलर के साथ मंदिर की नींव एक नेचुरल चट्टान के तौर पर तैयार की गई है जो न कभी दरकेगी और न ही उसमें कोई परिवर्तन आएगा। जमीन से 40 फीट नीचे तक एक दीवार का निर्माण किया गया है जिसके चलते कभी सरयू नदी का रुख मंदिर की तरफ नहीं हो सकेगा। प्लिंथ को ऊंचा करने में कर्नाटक का ग्रेनाइट व मिर्जापुर का सिलेटी पत्थर इस्तेमाल किया जाएगा। राजस्थान के वंशीपहाड़पुर के गुलाबी पत्थरों से मुख्य मंदिर तैयार होगा। इसी तरह परकोटा में जोधपुर के पत्थरों का इस्तेमाल किया जाएगा। मंदिर की चौखट मकराना के संगमरमर से बनाई जाएगी।
भव्यता से होंगे दर्शन
राम के चरित्र की मानिंद उनके भक्त भी यहां भव्यता से दर्शन करेंगे। पूरा परिसर भव्य बनाया जाएगा। सिर्फ 30 प्रतिशत पर ही निर्माण होगा, जबकि 70 प्रतिशत मंदिर खुला और हरियालीयुक्त होगा। मंदिर में सभी लोगों के आने का विधिवत बंदोबस्त किया जा रहा है। इसमें विकलांगों से लेकर बुजुर्गों के भी आने की व्यवस्था होगी। विकलांगों के लिए जहां अलग से व्हीलचेयर कॉरिडोर होगा, वहीं वरिष्ठ नागरिकों या चलने में असमर्थ लोगों के लिए कार्ट का भी इंतजाम किया जा रहा है।