नौशेरवां ईरान का बड़ा न्यायप्रिय बादशाह था। एक बार बादशाह जंगल की सैर के लिए निकला। जंगल में घूमते-घूमते बादशाह को भूख लगी। उसने नौकरों से वहीं भोजन की व्यवस्था करने का आदेश दिया। खाना तैयार हुआ। जब बादशाह खाने बैठा तब उसे साग-सब्जियों में नमक कम लगा। उसने नौकरों से कहा—जाओ पास के गांव से नमक ले आओ। एक नौकर जब तैयार हुआ तब बादशाह ने कहा—देखो, जितना नमक लाओगे, उसके पैसे देते आना। नौकर ने सुना तो उसने बादशाह की ओर देखा और बोला, सरकार नमक जैसी मामूली चीज के लिए कौन पैसे लेगा? बादशाह ने तेज आवाज में कहा—यह मत भूलो कि छोटी चीजों से ही बड़ी चीजें बनती हैं। छोटी बुराई बड़ी बुराई के लिए रास्ता खोलती है। अगर मैं किसी पेड़ से एक फल तोड़ता हूं तो मेरे सिपाही उस पेड़ पर एक भी फल नहीं छोड़ेंगे। मुमकिन है, ईंधन के लिए पेड़ ही काट कर ले आएं। ठीक है कि एक फल की कोई कीमत नहीं है। लेकिन बादशाह की जरा-सी बात से कितना बड़ा अन्याय हो सकता है। जो हुकूमत की गद्दी पर बैठता है, उसे हर घड़ी चौकस रहना चाहिए। प्रस्तुति : शशि सिंघल