मदन गुप्ता सपाटू
आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन तारा उदय होने का समय विजयकाल कहलाता है। यह मुहूर्त सब कार्यों को सिद्ध करता है। सायंकाल अपराजिता पूजन, भगवान राम, शिव, शक्ति, गणेश, सूर्यादि देवताओं का पूजन करके आयुध, अस्त्र शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए।
इस साल दशहरा 15 अक्तूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा। नवमी 14 अक्तूबर को मनाई जाएगी।
दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय प्रयाण, शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा। मान्यता है कि इस दिन भगवान राम ने अहंकारी रावण का वध कर धरती को उसके प्रकोप से बचाया था। यह राक्षस पर देवी दुर्गा की विजय के जश्न के रूप में भी मनाया जाता है। इसी कारण इस पर्व को बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना गया है। दशहरा का पर्व अवगुणों को त्यागकर श्रेष्ठ गुणों को अपनाने के लिए प्रेरित करता है।
पूजा मुहूर्त : 15 अक्तूबर का पूरा दिन शुभ है। विजय मुहूर्त दोपहर 02:02 बजे से 02:48 बजे तक विशेष शुभ माना गया है।
दशहरे पर सेब, अनार और गन्ना घर में अवश्य लाना चाहिए। गन्ना प्राकृतिक मधुरता और हरियाली दर्शाता है, जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख जरूर रखें।
वर्ष का सबसे शुभ मुहूर्त
दशहरे के दिन आप कोई भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं। गृह प्रवेश, वाहन या घर खरीदना, नये व्यवसाय का शुभारंभ, मंगनी, विवाह जैसा कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन खरीदारी करना शुभ माना जाता है। पूरे साल में 3 सबसे शुभ मुहूर्त माने जाते हैं- चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा और दशहरा। दशहरे के दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नये काम की शुरुआत कर सकते हैं। दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसमान में नयी ऊर्जा भर जाती है।