एक बार स्वामी रामतीर्थ जिस जहाज में अमेरिका के लिए यात्रा कर रहे थे। उसी जहाज में बहुत से जापानी छात्र भी वहां अध्ययन के लिए जा रहे थे, उनमें बहुत से धनी और सभ्य घराने के युवक भी थे। स्वामीजी ने उन छात्रों से पूछा, आप विद्या अध्ययन के लिए अमेरिका जा रहे हैं। वहां धन की व्यवस्था कैसी होगी?’ उन्होंने कहा, ‘स्वामीजी। हम तो जहाज का किराया भी घर से लेकर नहीं चले हैं। जहाज में कार्य करके उसका किराया दे देंगे। अपने राष्ट्र का धन व्यर्थ विदेशों में क्यों खर्च करें?’ वे सारे छात्र जहाज में सफाई आदि और छोटे-बड़े कार्य करके जहाज के किराए के पैसे दे रहे थे। स्वामी रामतीर्थ उन छात्रों का देशप्रेम देखकर अत्यधिक प्रसन्न हुए। उन्होंने मन ही मन सोचा, काश! हमारे देश के छात्र भी विदेशों में पढ़ने के लिए अपने देश का इतना ख्याल रखें तो हमारे देश का धन विदेश न जा पाए। प्रस्तुति : राजेश कुमार चौहान