एक बार मदर टेरेसा अनाथ और वंचितों के लिए धनसंग्रह हेतु एक कस्बे के लिए बस यात्रा कर रही थीं। उनका सादा वेश और उनके सरल तौर-तरीके पर कुछ फैशनेबल यात्रीगण उनको हेय समझ बैठे। मगर, मदर ने उनको जवाब नहीं दिया। कुछ देर बाद एक बस स्टाॅप आया। वहां से दो जाने-माने कारोबारी बस में आये और मदर टेरेसा का सम्मान किया। वे चाहते थे कि मदर आराम से उनके वाहन में बैठकर आगे जायें। मगर मदर टेरेसा ने उनको धन्यवाद कर उस बस से ही आगे की यात्रा जारी रखी। अब उनको हेय समझने वाले इतने शर्मिंदा हुए कि मदर के समीप जाकर उन से माफी मांगते हुए बोले, ‘आपने हमारे कटु शब्द का जवाब तक न दिया।’ मदर उनको आशीर्वाद देती हुई बोली, ‘मैं अपनी ऊर्जा और शब्दों का सदुपयोग करती हूं, दुरुपयोग कभी नहीं।’ सचमुच, मदर टेरेसा आखिरी सांस तक विनम्र थीं। प्रस्तुति : पूनम पांडे