शनि की साढेसाती एवं ढैय्या।
मकर, कुंभ व मीन राशि वाले जातक/जातिकाओं पर शनि साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। कर्क तथा वृश्िचक राशि वालों को शनि की ‘‘ढैय्या’’ रहेगी।
मेष, सिंह तथा धनु राशि पर शनि लौहपाद होने से आर्थिक, घरेलू व विघ्नबाधा, तनाव, चोट भय से सावधान रहें।
वृष, कन्या तथा कुम्भ राशि पर ‘ताम्र-पाद’ होने से कार्य-व्यवसाय में लाभ-उन्नति के मार्ग प्रशस्त होंगे। उच्च विद्या, विवाह, संतान, शुभ-सुविधाएं व यात्रा के अवसर रहेंगे।
मिथुन, वृश्चिक तथा मकर राशि पर सुवर्ण-पाद (पाया) रहने के कारण संघर्षपूर्ण स्िथति, पारिवारिक व व्यावसायिक उलझनें, शत्रुभय, शरीर कष्ट, तनावजन स्थिति रहे।
कर्क, तुला, मीन राशि पर रजत पाद शुभ फली रहे-पदोन्नति, विदेशगमन तथा धनलाभ, भूमि-वाहनादि शुभ पारिवारिक सुखों में बढ़ोतरी रहेगी।
मेष (चू-चे-चो-ला-ली-लू-ले-लो-अ)
इस राशि पर वर्षारम्भ में गुरु का संचार रहने पर मान-सम्मान में वृद्धि रहे, कारोबारी तरक्की, शनि की नीच दृष्टि के कारण गुप्त चिंताएं, मानसिक तनाव, चोट भय से सावधान रहें, चल-अचल संपत्ति की खरीद की संभावना, वाहन खरीद-फरोख्त से लाभ रहे। वर्ष के मई में विघ्न-बाधाएं, घरेलू क्लेश, व्यय तथा यात्राओं से परेशानियां रहेंगी। अक्तूबर बाद स्वास्थ्य का विशेष ध्यान रखें-रद्राभिषेक तथा श्रीहरिहर-अष्टोत्तर का पाठ करें।
वृष (ई, उ, ए, ओ, वा, वि, वू, वे, वो)
वर्षारंभ में राशि पर बुध, शुक्र ग्रहों की दृष्टि पड़ने के कारण संघर्ष व अड़चनें रहेंगी, किन्तु अप्रैल में धन लाभ व उन्नति के आसार बनेंगे। राशि में मई में गुरु संचार के कारण यात्रा का संयोग बने, मान-सम्मान वृद्धि, कोर्ट-कचहरी मुकदमों में लाभ रहे-अगस्त उपरान्त शुक्र नीचस्थ के कारण तनाव व गिरने-चोट लगने का भय, वाहन-संपत्ति खरीद की योजना बने-पारिवारिक मतभेद उभरेंगे, श्री सूक्त का पाठ करें, चने की दाल-केले का दान करें।
मिथुन (क-की-कु-घ-ङ-छ-के-को-ह)
यह वर्ष आपके लिए सकारात्मक रहेगा, कुछ रुके कामों में सुधार की संभावना रहेगी-स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव तथा चोट भय की संभावना भी रहे। मित्रों एवं रिश्तेदारों से आशानुकूल सहयोग मिले। अप्रैल से बुध नीच का होने के तनाव, कार्य बाधा, दौड़ धूप व व्यय का संयोग बनेगा। 23 सितंबर से धन लाभ का संयोग किन्तु अक्तूबर मासांत से स्वास्थ्य नरम-गरम चोट भय, विष्णु पूजा लाभप्रद रहे-
कर्क (ही-हू-हे-हो-डा-डी-डू-डे-डो)
कर्क राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा, वर्ष में परिश्रम के बावजूद उतना फल नहीं मिलेगा-वर्ष में दौड़धूप, व्यय, गुप्त चिंताएं, शारीरिक कष्ट, बंधु विरोध व आर्थिक उलझनें, स्थान परिवर्तन, स्थान परिवर्तन जैसे उतार-चढ़ाव की स्थिति रहे। मार्च तक मंगल की नीच दृष्टि राशि पर रहने से तनाव, क्रोध-रहेगा। 16 जुलाई बाद उत्तेजित गुस्सा व चिड़चिड़ापन रहे। पारिवारिक क्लेश, मतभेद रहेंगे। किसी से धोखा व चोट भय से सावधान रहें, मिथ्या अपवाद का भय रहे। सुन्दरकांड पाठ व मंगल गायत्री पाठ करें।
सिंह : (मा-मी-मू-मे-मो-टा-टी-टू-टे)
अष्टम राहु होने से स्वास्थ्य नरम-गरम रहेगा, मानसिक तनाव रहे, किंतु मित्रों का सहयोग मिलता रहेगा। हर कार्य को गहन विचार करके ही करें। क्योंकि वर्ष भर राशि पर शनि की शत्रु सप्तम दृष्टि रहेगी-बंधु विरोध, गुप्त चिंताएं रहें, घरेलू तथा व्यवसाय संबंधी उलझनें व परेशानियां बढ़ेंगी। वर्षारंभ से अप्रैल तक बृहस्पति की शुभ दृष्टि कुछ कार्यों की रुकावटें दूर करेगा। वर्ष भर दौड़धूप, क्राेध्ा-उत्तेजना रहेगी। शनि स्तोत्र का पाठ करना शुभ रहेगा। अार्थिक स्थिति मजबूत होगी।
कन्या (टो-पा-पी-पू-ष-ण-ठ-पे-पो)
वर्ष भर मिश्रित फल रहेंगे, वर्षान्त तक राशि पर केतु का संचार भी रहेगा, मान-सम्मान व धन वृद्धि, विदेश यात्रा, संतान सुख, गिरने-फिसलने का भय, पुराने मित्रों से मुलाकात, बंधु-विरोध राशि स्वामी बुध फरवरी-मार्च में अस्त होने से बनते कार्यों में अवरोध, मई से बृहस्पति की शुभ दृष्टि से उलझनों के बावजूद कार्य हल होते रहेंगे। सितंबर मासांत में बुध स्वराशिगत होने के कारण मान सम्मान वृद्धि तथा धनागम के अवसर मिलेंगे। यात्रा से बचें तथा कोर्ट-कचहरी मामलों में परहेज रखें। गणेश पूजा-यज्ञ व हनुमान बजरंग का बाण पाठ करें।
तुला : (रा-री-रू-रे-रो-ता-ती-तू-ते)
प्रस्तुत वर्ष उत्तम रहे किन्तु वर्ष मध्य में बीच-बीच उतार-चढ़ाव व मिश्रित फल रहें-स्वास्थ्य सुधार, मित्रों का सहयोग, व्यापार में रुकावटें, संतान की चिंता, धनेश पराक्रम में रहने से धन लाभ, गुप्त शत्रुओं से सावधान रहें। शारीरिक कष्ट, नवंबर से वायु विकार, नसाें संबंधी व्याधि से सावधान रहें। पारिवारिक वातावरण खुशनुमा रहे। गिरने-फिसलने का भय, यात्रा से परहेज रखें। करिअर संबंधी इंटरव्यू, परीक्षा में सफलता रहे-आंख में परेशानी, आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ करें, दुर्गासप्तशती पाठ करें।
बृश्चिक (तो-ना-नी-नू-ने-नो-या-यी-यू)
राशि पर शनि की ढैय्या का प्रभाव रहेगा। मन अज्ञात कारणों से अशांत रहेगा, मिथ्या अपवाद का भय रहे। पारिवारिक सदस्यों से मतभेद बनेंगे-अपमानजन स्थितियों का सामना करना पड़े। मन अशांत रहे। दौड़धूप रहे-व्यय अधिक रहे-खान-पान का ध्यान रखें। पेटादि विकार संभावित, वाहन ध्यानपूर्वक चलाएं। किसी को उधार नहीं दें। भूमि-वाहन खरीद-फरोख्त से बचें। कार्य बनते-बनते रुकेंगे। भूमि, भूखंड प्लाॅट आदि के रख-रखाव पर हुए खर्चों से आप परेशान रहें, कुछ अनावश्यक फिजूल खर्च का योग-यात्रा न करें-मंगलवार-शनिवार हनुमान दर्शन व प्रसाद चढ़ाएं। 30 जून उपरांत शनि वक्री होने से व्यय। पुराने मित्र से मुलाकात का योग।
धनु (ये-यो-भा-भी-भू-ध-फ-ढ-भे)
रुका धन प्राप्त होगा- भू-संपत्ति के वाद-विवाद बढ़ेंगे। संतान के प्रति आश्वस्त रहें, शुभ समाचार मिले- 30 अप्रैल तक राशि पर स्वगृही दृष्टि रहने की विपरीत परिस्िथतियों के बावजूद बिगड़े काम बनेंगे- शुभ कार्यों पर व्यय-कंपीटीशन में सफलता। सरकारी कार्यों में बाधा रहगी- माता-पिता का स्वास्थ्य नरम-गरम-रोग-बीमारी से बचाव रहे- पारिवारिक व पत्नी का स्वास्थ्य नरम-गरम रहे- यात्रा का संयोग भी रहेगा। 14 जून उपरांत सूर्य-मंगल के कारण क्रोध की अधिकता रहेगी- बिना पढ़े व सोच- विचार के हस्ताक्षर न करें- एकाग्रचित्तता का अभाव रहेगा- वर्ष की शुभता बढ़ाने के लिए आप विष्णु सहस्रनाम पाठ करें। गुड़ चना गाय को खिलाएं, वीरवार व्रत रखें व विष्णु पूजा लाभदायक।
मकर (भो-जा-जी-खी-खू-खे-खो-गा-गी)
शनि साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा-मानसिक तनाव, कार्य-व्यवसाय में अवरोध, कफ जनित कष्ट- पारिवारिक जीवन में तनाव व उतार-चढ़ाव-चोट-भय-टांग में तकलीफ किसी से गुस्से से मत बोलें- अपमानजनक स्थिति बनेगी। स्वास्थ्य संबंधी नवीन परेशानियां उभरेगी। 1 मई बाद गुरु की नीच दृष्ट के कारण अल्पलाभ, सोची-समझी योजनाओं में विघ्न रहे- 26 अगस्त बाद गुस्से का प्रभाव रहे, संघर्ष की स्थिति रहे- चोराग्नि के कारण हानि का योग, मिथ्या अपवाद व आरोप का सामना करना पड़े। कोर्ट-कचहरी मामले उलझें। शिव आराधना व शनि उपसाना करें ‘सुंदरकांड’ पाठ से लाभ।
कुंभ (गू-गे-गो-सा-सी-सू-से-सो-दा)
शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव मध्यम रहेेगा, नए कार्य की योजना बनेगी, कार्यों में सफलता प्राप्त होगी। साढ़ेसाती के कारण मानसिक तनाव, घरेलू उलझनें, व्यय की अधिकता, पारिवारिक बंधुओं से मनमुटाव रहे- मतभेद व वाद-विवाद के कारण अनचाही विपत्ति का सामना करना पड़े। भूमि- मकान के मामलों में मामूली सफलता रहे। आलस्य वृद्धि रहे। 30 जून बाद शनि वक्री के कारण वाहन धैर्य से चलाएं। 16 अगस्त बाद राशि पर सूर्य-बुध की दृष्टि पड़ने से कार्य-व्यवसाय में उतार-चढ़ाव, पेट संभाल रखें व यात्रा से परहेज करें। शनिवार पीपल नीचे तिल तेल की जोत जलाएं, मंगलवार को महावीर को प्रसाद चढ़ाएं, शनि का मंत्र जाप करें।
मीन (दी-दू-घ-झ-दे-ञ-दो-चा-ची)
शनि की चढ़ती साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा। घरेलू वातावरण में नीरसता रहे, राशि पर राहु का संचार भी रहेगा, बनते कार्यों एवं शुभ कार्यों में रुकावटें रहें। अपव्यय व क्रोध अधिक रहे। स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव व मन अशांत रहे। कारोबार में उतार-चढ़ाव रहे मानसिक तनाव बढ़ेगा- नेत्र तथा उदर कष्ट। नवीन योजनाएं बनें किन्तु कारगार नहीं होंगी। व्यापार-भूमि-वाहन में निराशा, बंधुओं व संतान का आरोप-प्रत्यारोप व वाद-विवाद रहे। कृषक को लाभ कम, कोर्ट-कचहरी कार्यों में निराशा, अधिकारियों से वैचारिक मतभेद रहें। कामकाज में परेशानियां रहें। शनि के कारण लाभ लंबित रहें। कोई भी निर्णय भावुकता से न करें। जून में शनि वक्री होने के कारण वाणी व क्रोध पर काबू रखें- शनि का दान व सुंदर कांड का पाठ करें- पीपल को जोत जलाएं। नवगृह पूजा करें।
-सत्यव्रत बेंजवाल