मुंबई, 9 अक्तूबर (एजेंसी)
भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर रेपो में कोई बदलाव नहीं किया और इसे 4% पर बरकरार रखा। हालांकि आरबीआई ने मौद्रिक नीति के मामले में नरम रुख बनाये रखा और कहा कि जरूरत पड़ने पर आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिये वह उपयुक्त कदम उठाएगा। केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में 9.5% की गिरावट आ सकती है। समीक्षा में अनुमान लगाया गया कि अर्थव्यवस्था चौथी तिमाही तक संकुचन के दौर से वृद्धि के दौर में लौट आएगी। केंद्रीय बैंक ने कहा, ‘मौजूदा और उभरती वृहद आर्थिक स्थिति के आकलन के आधार पर मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की शुक्रवार को हुई बैठक में सभी सदस्यों ने आम सहमति से नकदी समायोजन सुविधा (एलएएफ) के तहत रेपो दर को 4% पर बरकरार रखने का निर्णय किया।’ इसके साथ रिवर्स रेपो 3.35% और सीमांत स्थायी सुविधा तथा बैंक दर 4.25% पर बरकरार रहेगी। रेपो दर वह ब्याज है, जिस पर बैंक रिजर्व बैंक से नकदी की फौरी जरूरतों को पूरा करने के लिये कर्ज लेते हैं, जबकि रिवर्स रेपो बैंक द्वारा आरबीआई को दिये जाने वाले कर्ज या उसके पास रखने वाली राशि पर मिलने वाला ब्याज है। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आरबीआई आर्थिक वृद्धि को पटरी पर लाने के लिये उदार रुख को बनाये रखेगा। उदार रुख से कोविड-19 से प्रभावित अर्थव्यववस्था को गति देने के लिये जरूरत पड़ने पर नीतिगत दरों में कटौती की जा सकती है।
घरेलू अर्थव्यवस्था के बारे में दास ने कहा, ‘उच्च आवृत्ति के आंकड़े (पीएमआई, बिजली खपत आदि) संकेत देते हैं कि आर्थिक गतिविधियां 2020-21 की दूसरी तिमाही में स्थिर हुई हैं।’ इससे पहले, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर में 23.9% की गिरावट दर्ज की गयी थी। उन्होंने कहा, ‘ग्रामीण अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार मजबूत होने का अनुमान है, लेकिन शहरी क्षेत्र में मांग में तेजी आने में वक्त लग सकता है…।’’
आरटीजीएस सुविधा दिसंबर से 24 घंटे
आरबीआई ने शुक्रवार को कहा कि बड़ी राशि के अंतरण के लिये भारत में आरटीजीएस (भुगतान के तत्काल निपटान) की सुविधा आगामी दिसंबर से 24 घंटे शुरू कर दी जाएगी। ‘भारत वैश्विक स्तर पर ऐसे गिने चुने देशों में होगा जहां 24 घंटे, सातों दिन, 12 महीने बड़े मूल्य के भुगतानों के तत्काल निपटान की प्रणाली होगी।
आवास ऋण जोखिम प्रावधान हुए सरल
रिजर्व बैंक ने व्यक्तिगत आवास ऋण पर बैंकों के जोखिम संबंधी प्रावधानों में ढील देने का फैसला किया है। इससे बैंकों को पूंजी का प्रावधान कम करना होगा और वे अधिक आवास ऋण देने के लिए प्रोत्साहित होंगे। मार्च 2022 तक मंजूर किए जाने वाले सभी आवास ऋणों के लिए अब केवल कर्ज की राशि और आवासीय सम्पत्ति के मूल्य के अनुपात (एलटीवी) की कसौटी ही लागू होगी।
समीक्षा की मुख्य बातें
- नीतिगत दर रेपो 4% पर बरकरार रहेगी
- उदार रुख बरकरार रखने की घोषणा
- अर्थव्यवस्था में सुधार के आने लगे संकेत
- मुद्रास्फीति तय लक्ष्य में आने का अनुमान
- जीडीपी के वृद्धि के रास्ते पर आने का अनुमान
- खुले बाजार परिचालन : 20,000 करोड़ जारी होंगे