चंडीगढ़, 5 दिसंबर (ट्रिन्यू)
बाबा साहेब डॉ. भीमराव राम अम्बेडकर भारत के महान सपूतों में से एक थे, जिन्होंने समाज में वंचितों-दलितों के खिलाफ हो रहे आर्थिक और सामाजिक भेदभाव के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी और समतावादी एवं मानवीय सिद्धांतों पर भारतीय समाज के पुनर्गठन के लिए कड़ा संघर्ष किया। ये विचार यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ लीगल स्टडीज (यूआईएलएस) के सहायक प्रोफेसर डॉ. भरत ने डॉ. अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस की पूर्व संध्या पर पंजाब विश्वविद्यालय में माता गुजरी हॉल और लक्ष्मी बाई हॉल द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित एक संवाद सत्र में व्यक्त किये। समाजवादी दृष्टि पर आधारित भारत के संविधान के निर्माण में डॉ. अम्बेडकर द्वारा निभाई गई भूमिका को रेखांकित करते हुए डॉ. भरत ने कहा कि भारत-रत्न बाबासाहेब ने हमेशा सभी के लिए समान अधिकार और समानता को अपनी पहली और सबसे महत्वपूर्ण प्राथमिकता के रूप में रखा और स्पष्ट संदेश दिया। भारत के संविधान के माध्यम से कि ‘हम सब एक हैं’। उपस्थित सत्र का संचालन डॉ. अंजू गोयल और डॉ. हरजीत कौर ने किया।