जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 3 अक्तूबर
पंजाब फेडरेशन आफ यूनिवर्सिटी एंड काॅलेज टीचर्स आर्गेनाइजेशन (पीफुक्टो) के बैनर तले पिछले 29 दिन से क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे पंजाब यूनिवर्सिटी टीचर्स एसोसिएशन (पूटा) और पंजाब व चंडीगढ़ के काॅलेज-यूनिवर्सिटी टीचर्स की अभी तक कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही। पंजाब का मुख्यमंत्री तो बदल गया लेकिन अभी तक आंदलोनरत टीचर्स को बातचीत का कोई न्योता हीं मिला। इसी बीच पीयू प्रशासन ने अवश्य फेडरेशन को अपने विरोध स्थल को बदलने का आग्रह कर डाला। पीयू के इस आग्रह और आंदोलन के एक माह पूरा कर लेने पर पीफुक्टो महासचिव डॉ. जगवंत सिंह ने कल एक पत्रकार सम्मेलन बुलाया है।
आज धरने के 29वें दिन पूटा के साथ पीसीसीटीयू चंडीगढ़ के टीचर्स ने भाग लिया। डॉ. सुधीर मेहरा, डॉ. शिव कुमार, डॉ. अरुण बहल, डॉ. रमा कुमारी और डॉ. भूषण कुमार भूख हड़ताल पर बैठे। एक माह होने पर फेडरेशन ने कल एक पत्रकार सम्मेलन भी बुलाया है, जिसमें पीयू की ओर से धरनास्थल बदलने के आग्रह पर भी पीफुक्टो की प्रतिक्रिया सामने आ सकती है। पीयू की ओर से कहा गया है कि पीयू प्रशासन आपकी मांगों को लेकर काफी चिंतित है और हमेशा फैकल्टी के कल्याण के लिये तत्पर रहता है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने का नोटिफिकेशन पंजाब सरकार द्वारा जारी किया जाना है इसलिये टीचर्स पंजाब सरकार के खिलाफ रोष जाहिर करें।
पीयू प्रवक्ता के जरिये कहा गया कि अगर कोई सकारात्मक परिणाम आना भी है तो पंजाब सरकार पर दबाव बनाकर ही आ सकता है, यहां धरना देने से क्या लाभ होने वाला है? उलटा इससे पीयू की छवि खराब हो रही है, जिससे एनआईआरएफ और नैक रैंकिंग में अवश्य इसका विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। पीयू ने इसीलिये आग्रह किया कि वे धरनास्थल उचित जगह को बनायें, जहां से आपको शिकायत है।
विरोध करना हमारा लोकतांत्रिक अधिकार
पीफुक्टो और पूटा ने कहा है कि उनका आंदोलन ट्रेड यूनियनों की तरह नहीं है और सभी टीचर अपने आप को नियंत्रित रखते हैं। उन्होंने कहा कि धरनास्थल ज्यादा अहमियत नहीं रखता बल्कि यह तो प्रतीकात्मक विरोध है। भूखहड़ताल या धरने से कक्षाओं पर कोई असर नहीं पड़ रहा है। पीफुक्टो और पूटा ने पीयू प्रशासन की ओर से ऐसे बयान जारी किये जाने की निंदा की और इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उनका कहना है कि लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करना उनका अधिकार है।
‘यूजीसी के पे-स्केल जल्द दिये जायें’
पीफुक्टो के बैनर तले पंजाब व यूटी के टीचर मांग कर रहे हैं कि उन्हें यूजीसी के पे-स्केल जल्द दिये जायें। साथ ही उन्होंने तत्कालीन कैप्टन अमरेंद्र सरकार द्वारा काॅलेज-यूनिवर्सिटी टीचर्स के पे-स्केल को यूजीसी से डी-लिंक किये जाने का विरोध कर रहे हैं। देश के लगभग सभी राज्यों के टीचर्स को सातवां वेतन आयोग मिल चुका है मगर पंजाब, यूटी और हिमाचल में अभी तक टीचर इसकी बाट ही जोह रहे हैं।