राजवंती मान
चंडीगढ़ की साहित्यिक गतिविधियों के मजबूत स्तम्भ और प्रो. मेहंदीरत्ता जी के शिष्य/सहयोगी डॉ. कैलाश अहलूवालिया हमारे बीच नहीं रहे। शनिवार, 20 जनवरी 2024 को थोड़े दिनों की बीमारी के बाद वह हमें अलविदा कह गए। अहलूवालिया साहित्यिक पटल पर एक निर्विवाद विभूति, शानदार इंसान थे जो वरिष्ठ साहित्यकारों, समकालीनों और नवोदित साहित्यकारों की हर पीढ़ी को गहरे तक प्रभावित करते रहे।
वह एक शानदार कवि, कथाकार, समीक्षक, नाटककार, मंच अभिनेता, निर्देशक और बहुमुखी प्रतिभा के धनी एक लाजवाब इंसान थे। कैलाश जी से मेरा परिचय मेरी साहित्यिक यात्रा के बराबर ही है। जब मेरे प्रथम काव्य संग्रह का लोकार्पण हुआ तो कैलाश जी ने एक गंभीर, सधा हुआ विस्तृत पर्चा पढ़ा। उसके बाद निरंतर साहित्यिक विषयों पर बात होती रही।
अंग्रेजी एवं हिंदी साहित्य में एक ही जैसी पैठ रखने वाले डॉ. कैलाश अंग्रेजी और इतिहास में एमए, अंग्रेजी में एमफिल, पीएचडी; एसोसिएट प्रोफेसर, पूर्व प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्ति हुए और इग्नू के समन्वक भी रहे। रंगमंच की गतिविधियों में उनका शानदार और सक्रिय योगदान रहा है। चंडीगढ़ की प्राचीनतम रंगमंचीय संस्था अभिनीत के बैनर तले करीब 60 नाटकों का मंचन-निर्देशन किया। सेतु पत्रिका, शिमला के सलाहकार, कंटेंपरेरी वाइब्स चंडीगढ़ के सह-संपादक और फिलफोट फोरम नाटक संस्था, सोलन के वह सलाहकार रहे। मैं उनकी कविताओं की प्रशंसक रही हूं। ओ! अबाबील, कांच घर की मछली, पानी आ गया जैसे कविता संग्रह दिल को छू जाते हैं। अनकही की आँच, खिलती धुप में बारिश, शेष–अशेष जैसे कहानी संग्रह, पुनश्च (संस्मरणात्मक) न केवल व्यक्तिगत, बल्कि समकालीन साहित्यिक परिदृश्य से परिचित करवाता जरूरी दस्तावेज है। इंग्लिश पोएट्री इन इंडिया, सुशील कुमार फुल्ल द्वारा संपादित ‘हिंदी के शब्द शिल्पी’, देवेन्द्र गुप्ता सम्पादित ‘कथा चौबीसी’ आदि लंबी फेहरिस्त है उनके प्रकाशनों की। चंडीगढ़ की साहित्य अकादमी द्वारा साहित्य में रिकॉग्निशन के लिए लाइफ अचीवमेंट अवार्ड, क्रिएटिव राइटर्स (शिमला) रीडर्स एंड रायटर्स ऑफ़ इंडिया जैसे साहित्यिक सम्मान प्राप्त; हिंदी ओवरसीज यूएसए ह्यूस्टन, टेक्सास अमेरिका आदि अनेक संस्थानों ने उन्हें सम्मानित किया। उनका यूं चले जाना साहित्य के लिए अपूरणीय क्षति है। हालांकि उनके साहित्यिक अवदान का मूल्यांकन किया जाना शेष है। उनकी कमाल की बात यह थी कि वह हर छोटे-बड़े साहित्यकार की रचनाओं पर गंभीरता से और विस्तृत बात करते रहे हैं। अब यह उनके समकालीन और नयी पीढ़ी की जिम्मेदारी है कि उनके रचनाकर्म पर बात हो। मैं डॉ. कैलाश अहलूवालिया को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं।
उधर, चंडीगढ़ से दैनिक ट्रिब्यून संवाददाता के मुताबिक संवाद साहित्य मंच, चंडीगढ़ के पदाधिकारियों व सदस्यों ने कैलाश अहलूवालिया के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रेम विज, डाॅ. विनोद शर्मा, नीरू मित्तल, केके शारदा, डॉ. सरिता मेहता, सुरेश सेठ, विमला गुगलानी, लाजपतराय गर्ग ने प्रार्थना की।