चंडीगढ़, 15 सितंबर (ट्रिन्यू)
भारतीय शिक्षण मंडल पंजाब प्रांत की ओर से आज हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में एक वेब-संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में आईआईटी रोपड़ से प्रो. राजीव आहूजा शामिल हुए जबकि बीज वक्ता के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय से प्रो. कुमुद शर्मा शामिल हुईं। पंजाब विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह विशिष्ट वक्ता के रूप में शामिल हुए। हरियाणा साहित्य अकादमी के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा ने काव्य पाठ किया। डॉ. पूनम द्विवेदी ने विशेष कविता प्रस्तुत की। प्रो. राजीव आहूजा ने कहा कि भारत की पहचान हिंदी ही है, इसलिये इसे राष्ट्रभाषा नहीं विश्व भाषा बनाने का प्रयास करना चाहिए। प्रो. कुमुद शर्मा ने कहा कि भाषा किसी भी देश की राष्ट्रीय अस्मिता का एक अभिन्न अंग है। उन्होंने आज़ादी से पहले के परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा सभी लोग सहमत थे लेकिन राजनीति के कारण यह देश की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई। हम सब को अब इस दिशा में अपना योगदान देना चाहिए। नयी शिक्षा नीति से हमें एक अवसर मिला है जहां हम हिंदी और सभी भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ा सकते हैं। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गुरमीत सिंह ने बताया कि हमें प्रादेशिक भाषाओं को विश्वास में लेकर आगे बढ़ना होगा क्योंकि आज़ादी के बाद जो हिंदी समाज है वो शायद कहीं न कहीं इसमें विफल रहा है लेकिन हमें देर-सवेर विनम्रता के साथ लेकिन दृढ़ता के साथ राष्ट्रभाषा के प्रश्न पर विचार करना होगा। डॉ. पूनम द्विवेदी ने कहा कि पंजाब में अंग्रेजी की अनिवार्यता समाप्त होनी चाहिए। डॉ. लक्की शर्मा ने कहा कि पंजाब प्रांत आगे भी इस संबंध में प्रयास जारी रखेगा।
हिंदी दिवस पर सांस्कृतिक उत्सव
मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज फॉर वूमेन के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग ने हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन किया जिसमें भारतीय संस्कृति की विविधता में एकता को प्रदर्शित करते हुए विद्यार्थियों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमें लोक गीत और लोक नृत्य प्रमुख रहे। कार्यक्रम का एक हिस्सा प्रश्नोत्तरी का भी था जिसमें हिंदी साहित्य से संबंधित प्रश्न पूछे गए। इस अवसर पर कॉलेज की प्रधानाचार्या डॉ. निशा भार्गव ने हिंदी विभाग के इस प्रयास की सराहना की। उन्होंने हिंदी में उपलब्ध अवसरों से भी विद्यार्थियों को अवगत करवाया ।