चंडीगढ़, 6 अप्रैल(ट्रिन्यू)
कोरोना महामारी के चलते पंजाब विश्वविद्यालय ने पीएचडी कर रहे शोधार्थियों के लिये 22 मार्च, 2020 से लेकर 31 मार्च, 2021 की अवधि को ‘जीरो’ घोषित किया है। पीयू प्रशासन का कहना है कि चूंकि इस दौरान रिसर्च स्कॉलर न तो लाइब्रेरी ही जा पाये और न ही लेबोरेटरी में कोई शोध से जुड़ा काम कर पाये। इसी तरह से स्कॉलर फील्ड वर्क और पायलट स्टडी भी नहीं कर पाये। इस अवधि के दौरान क्योंकि छात्रों को पीयू के हॉस्टलों में रहने की इजाजत नहीं थी, इसलिये वे कोई भी शोध संबंधी कार्य पूरी सुविधाओं के साथ नहीं कर पाये। यह अवधि सिनोप्सिस जमा कराने वाले छात्रों के लिये जीरो यानी शून्य गिनी जायेगी। जिन रिसर्च स्कॉलरों को 22 मार्च, 2020 को पंजीकरण कराये दो साल हो चुके थे, उन्हें पहली अप्रैल 2021 को उसी स्टेज पर माना जायेगा। इसी तरह की छूट उन सभी रिसर्च स्कॉलरों के मामलों में भी मिलेगी, जिन्होंने विभिन्न चरणों में रजिस्ट्रेशन और इसी तरह के अन्य प्रतिवेदन दे रखे हैं। इस अवधि के फीस और लेट फीस जमा कराने को लेकर भी छूट मिलेगी। सहायक कुलसचिव (फीस) ऐसे मामलों को चैक करके पीएचडी थीसिस जमा कराने या सिनोप्सिस जमा कराने को लेकर आगे के लिये एक्सटेंशन और छूट आदि दे सकेंगे। हालांकि पीएचडी थीसिस जमा कराने का टोटल टाइम भी वही रहेगा। एमफिल/पीएचडी के लिये मिलने वाली किसी भी फैलोशिप की अवधि में कोई फेरबदल नहीं होगा।
लघु शोध-प्रबंध 31 दिसंबर तक जमा करा सकेंगे
पीयू प्रशासन ने इसी तर्ज पर एमफिल के छात्रों को भी अपना लघु शोध-प्रबंध जमा कराने के लिये 31 दिसंबर तक की छूट दे दी है। यह छूट केवल उन छात्रों को मिलेगी जिनके दो साल का अधिकतम पीरियड कोविड-19 महामारी के दौरान पूरा हो रहा था। इसी तरह से पीएचडी के रिसर्च स्कॉलरों को भी थीसिस जमा कराने के लिये 31 दिसंबर तक की एक्सटेंशन दे दी है। यह एक्सटेंशन जिन शोधार्थियों का अधिकतम समय 8 साल इस महामारी के दौरान पूरा होने वाला था, उनको दी जायेगी। इस योजना में वे छात्र भी कवर होंगे, जिन्हें पीएचडी थीसिस जमा कराने के लिये गोल्डन चांस मिला हुआ है।