सौरभ मलिक/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 13 नवंबर
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया है कि यदि लाउड स्पीकर या गाड़ियों के हॉर्न से ज्यादा शोर हो रहा हो तो ध्वनि प्रदूषण के मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करना अनिवार्य है। पीठ ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षकों को सतर्क रहने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि पंजाब, हरियाणा और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ में कोई भी व्यक्ति नियमों का उल्लंघन करे तो उस पर तुरंत एक्शन लिया जाए।
चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस अनिल क्षेत्रपाल की पीठ ने कहा कि ध्वनि प्रदूषण एक सतत मुद्दा है। ऐसे में अधिकारियों को चाहिए कि इसकी सूक्ष्म निगरानी करें। जिम्मेदार अधिकारियों में जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक शामिल हैं, जिन्हें कोर्ट द्वारा पहले से निर्धारित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने के लिए व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी ठहराया गया है।
हाईकोर्ट का यह निर्देश पहले से जारी उन 15 आदेशों के आलोक में पांच साल बाद आया है जिनमें लाउडस्पीकर पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना शामिल है। पीठ हरियाणा राज्य और अन्य प्रतिवादियों के खिलाफ अभिलाक्ष सचदेव और एक अन्य याचिकाकर्ता द्वारा वकील अभिनव सूद के माध्यम से दायर ध्वनि प्रदूषण पर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
मामले के तकनीकी पहलू पर विचार करते हुए पीठ ने कहा, ‘यदि पुलिस धारा 154 के तहत अपने वैधानिक कार्य को पूरा करने में विफल रहती है, तो पीड़ित व्यक्ति सीआरपीसी की धारा 156 (3) के तहत मजिस्ट्रेट से संपर्क करने के लिए स्वतंत्र है, जो अब बीएनएसएस की धारा 175 है।’