चंडीगढ़, 8 नवंबर (ट्रिन्यू)
भारत ऊर्जा, डिजिटलीकरण और एआई में महत्वपूर्ण परिवर्तनों से गुजर रहा है। ये बदलाव युवा पीढ़ी को एआई और डिजिटल परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में टिकाऊ, आत्मनिर्भर तकनीकी प्रगति में सार्थक योगदान देने के बेहतरीन अवसर प्रदान करते हैं। स्थानीय स्तर पर सोलर थर्मल पावर को बढ़ावा देकर किसानों की दशा में सुधार लाया जा सकता है। यह बात आज पीयू में चंडीगढ़ साइंस कांग्रेस (चैसकॉन) के समापन भाषण में सावित्री बाई फुले यूनिवर्सिटी पुमे के कुलपति प्रो. सुरेश गोसावी ने कही। प्रो. गोसावी ने कहा कि मुंबई से डिब्बावालों की वापसी इसका जीता-जागता प्रमाण है, जो सोलर थर्मल पावर के बल पर आज तीन-तीन फसलें ले रहे हैं और खुशहाल हो गये हैं। तीन दिवसीय चैस्कॉन का आयोजन पीयू और ‘चंडीगढ़ रीजन इनोवेशन एंड नॉलेज क्लस्टर’ (क्रिक) संस्थानों द्वारा ‘विकसित भारत के लिए स्वदेशी प्रौद्योगिकी’ विषय पर किया गया था। चंडीगढ़ क्षेत्र और विभिन्न हिस्सों से विभिन्न संस्थानों और औद्योगिक घरानों के लगभग 1200 शिक्षाविदों, वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भाग लिया और विज्ञान में एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने पर चर्चा की। क्रिक संस्थानों से चुने गए छह युवा वैज्ञानिकों और रिसर्च स्कॉलरों ने विज्ञान की कहानी के माध्यम से अपना शोध कार्य प्रस्तुत किया। पीयू रजिस्ट्रार प्रो. वाई.पी. वर्मा, निदेशक अनुसंधान एवं विकास सेल प्रो. सविता भागनगर, चैस्कॉन समन्वयक प्रो. वाईके रावल और प्रो. समापन सत्र को सोनल सिंघल ने भी संबोधित किया।