मनीमाजरा, 23 नवंबर (हप्र)
सर्द मौसम में कलाग्राम में कला और संस्कृति का संगम दिखाई देगा। हुनरमंदों की कला आकर्षण का केंद्र रहेगी तो सांस्कृतिक कार्यक्रम नया जोश भरेंगे। कलाग्राम में पहली से 10 दिसंबर तक 13वें चंडीगढ़ नेशनल क्राफ्ट मेले में माडर्न आर्ट और संगीत की सुर-लहरियां देखने को मिलेंगी। नेशनल क्राफ्ट मेले में इस बार सबसे आकर्षण का केंद्र पत्थरों की नक्कशी से तराशकर तैयार की गई कलाकृतियां रहेंगी। इन कलाकृतियों को प्रवेश द्वार से लेकर मुख्य मंच तक प्रदर्शन हेतु स्थापित किया जा रहा है। पत्थरों में तराशी गई ये कलाकृतियां असली वाद्य यंत्र सा आभास देती हैं। उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के निदेशक फुरकान खान ने बताया कि क्राफ्ट मेले के जरिये हर साल देश के विभिन्न राज्यों से आए कलाकारों और शिल्पकारों को अपनी कला को प्रदर्शित करने का अवसर दिया जाता है। इस मेले के जरिये लोक संस्कृति के साथ-साथ लोककला को प्रोत्साहन मिलता है। इसीलिए इस मेले में नई सोच को शामिल करते हुए मूर्तिकला और संगीत यंत्रों का मेल करने का ख्याल आया। मेले में डिस्पले की जाने वाली इन कलाकृतियों को बनाने के लिए देश के विभिन्न राज्यों से मूर्तिकारों और कारीगरों को बुलाया गया था। इन कलाकृतियों को देखकर ऐसा लगता है जैसे ये बिल्कुल असली के संगीत यंत्र हों। खान के अनुसार ये दिखने वाली मूर्तियां और ना दिखाई देने वाले संगीत का अद्भुत संयोग है।
इन कलाकारों ने बनाईं कलाकृतियां
बीते दिनों कलाग्राम में म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट थीम पर नेशनल स्कलपचर कैंप का आयोजन किया गया था। जिसमें 16 मूर्तिकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया था। जिनमें हेमंत जोशी उदयपुर, डॉ. चित्रासेन उदयपुर, नरेंद्रजीत सिंह चंडीगढ़, असुरवेद दिल्ली, जगदीप सिंह चंडीगढ़, विशाल चंडीगढ़, जसविंदर सिंह छिब्बर लुधियाना, रेनू बाला पठानकोट, सुरेश कुमार नई दिल्ली, विकास खजूरिया जम्मू, सिमरजीत सिंह बरनाला, भोला कुमार नोएडा, विकास प्रताप सिंह लखनऊ, अवनि सूरत, प्रदीप कुमार हिसार, सुनील कुमार कुमावत सीकर शामिल हैं।