विवेक शर्मा/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 9 नवंबर
पहले ग्लोबल इंटरनेशनल ऑन्कोलॉजी समिट-2024 (जीआईओएस) के दूसरे दिन गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और हेपेटोपैंक्रीएटिकबिलीरी कैंसर के उपचार में महत्वपूर्ण निष्कर्ष सामने आए। मोहाली स्थित होटल रैडिसन में आयोजित इस सम्मेलन का उद्घाटन उत्साह और उल्लास के साथ हुआ, जिसमें चिकित्सा विशेषज्ञों ने कैंसर के समाधान में क्रांतिकारी दृष्टिकोणों पर चर्चा की। इस ऐतिहासिक अवसर पर यह साझा किया गया कि कैसे आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों को प्राचीन ज्ञान के साथ जोड़कर कैंसर के उपचार को और प्रभावी बनाया जा सकता है।
पीजीआई के निदेशक प्रो. विवेक लाल ने उद्घाटन भाषण में कहा कि हमें आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों को अपनाना चाहिए। उन्होंने तंबाकू के सेवन और आहार जैसी जीवनशैली से जुड़ी आदतों को कैंसर के मुख्य कारण बताया और इससे बचाव के लिए शिक्षा और जागरूकता फैलाने पर जोर दिया।
पैनक्रियाटिक के उपचार पर विचार
सम्मेलन में पैनक्रियाटिक और कोलांजियोकार्सिनोमा के उपचार पर विचार-विमर्श हुआ। विशेषज्ञों ने एंडोस्कोपिक तकनीकों और एशियाई परिप्रेक्ष्य में इन रोगों के इलाज के बारे में अपने अनुभव साझा किए। इससे इलाज के नये दृष्टिकोणों का मार्ग प्रशस्त हुआ।
कैंसर के इलाज में सामूहिक प्रयास
पद्मश्री प्रो. वाईके चावला ने कैंसर जैसी जटिल बीमारियों के इलाज में विशेषज्ञों और विभिन्न चिकित्सा क्षेत्रों के बीच सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन संवाद और ज्ञान के आदान-प्रदान का एक मंच है, जो चिकित्सा समुदाय के बीच सर्वोत्तम प्रथाओं के प्रसार को बढ़ावा देता है।
मिलेट्स की भूमिका
प्रो. राकेश कपूर द्वारा प्रस्तुत पुस्तक ‘मिलेट्स : ऑर्फन क्रॉप इन पर्ल शेल’ में मिलेट्स के पोषण और स्वास्थ्य लाभ पर चर्चा की गई। सम्मेलन में यह महत्वपूर्ण बिंदु सामने आया कि मिलेट्स को आहार में शामिल करने से कैंसर की रोकथाम और प्रबंधन में अहम भूमिका निभाई जा सकती है।
नवीनतम तकनीकों पर विचार
सम्मेलन के विभिन्न सत्रों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल कैंसर के उपचार में नयी तकनीकों और रणनीतियों पर चर्चा की गई। रेडियोथैरेपी में नवीनतम नवाचार, सर्जिकल उपचार और एंडोस्कोपिक तकनीकों पर विचार किया गया। विशेषज्ञों ने बताया कि बहुविभागीय दृष्टिकोण से उपचार में सुधार किया जा सकता है, जिससे मरीजों के परिणामों में सकारात्मक बदलाव आएगा।